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मंडी अधिनियम में किए गए संसोधन का छतरपुर में विरोध, 'किसान और कर्मचारी होंगे परेशान'

संशोधित एक्ट के विरोध में मंडी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने इस एक्ट को किसानों और मंडी कर्मचारियों के लिए नुकसान दायक बताया है.

mandi employees submitted memorandum
मंडी कर्नचारियों ने सौंपा ज्ञापन

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Published : May 30, 2020, 4:11 PM IST

छतरपुर। 1 मई 2020 को शासन द्वारा मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में अध्यादेश द्वारा संशोधन किया गया था. इस संशोधन एक्ट के विरोध में लवकुशनगर में स्थित कृषि उपज मंडी में पदस्थ कर्मचारियों ने 29 मई यानि शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें इस संशोधित एक्ट को वापिस लिए जाने की मांग की जा रही है.

मंडी कर्मचारियों ने बताया कि संशोधित एक्ट मंडी के हित में नहीं है. शासन द्वारा कृषि विपणन (मार्केटिंग) का पद अलग से उत्पन्न कर प्राइवेट मंडी इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म ट्रेडिंग यूनिफाइड लायसेंस का मार्ग प्रशस्त किया गया है. साथ ही प्राइवेट मंडी सहित इन सभी चीजों को सरकारी मंडी समितियों के नियंत्रण से मुक्त रखा गया है. सरकार के इस निर्णय से आगामी दिनों में घातक परिणाम सामने आ सकते हैं.

सरकारी मंडियों के नियंत्रण से बाहर प्राइवेट कंपनियों को अनाज खरीदने की अनुमति मिलने से शुगर मिलों की तरह किसानों की उपज का पैसा समय पर नहीं मिल पाएगा. साथ ही प्राइवेट कंपनियां किसानों की फसल का दाम अधिक देने की बात कहकर अन्य सामग्री खरीदने की शर्त रखेंगी. कंपनियों के ऐसे ऑफर से सरकारी मंडियों में अनाज की आवक कम होगी, जिससे व्यापारी, हम्माल बेरोजगार हो जाएंगे.

सरकारी मंडियों में व्यापार खत्म होते ही मंडियों की आय में भारी कमी आएगी, जिससे पदस्थ कर्मचारियों की समय पर वेतन नहीं मिलने की समस्या सामने आ जायेगी. साथ ही पेंशन धारी भी परेशान रहेंगे.

मंडी कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर जताया विरोध

शासन के इस निर्णय के विरोध में कृषि उपज मंडी में पदस्थ कर्मचारियों ने शुक्रवार से हाथ में काली पट्टी बांधकर विरोध जताया है. ड्यूटी पर ही मुख्यमंत्री के नाम पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए इस संशोधित एक्ट को दोषपूर्ण बताते हुए मंडी के हित में नहीं होने की बात कही है.

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