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सेहत से खिलवाड़, 20 लाख की आबादी वाले जिले के शासकीय अस्पताल में सिर्फ एक वेंटिलेटर

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने के लिए शासकीय अस्पताल में सिर्फ एक वेंटिलेटर है और उस वेंटिलेटर को ऑपरेट करने वाला एक भी डॉक्टर फिलहाल मौजूद नहीं है.

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Published : Jul 25, 2020, 3:05 PM IST

A ventilator throughout the hospital
पूरे अस्पताल में एक वेंटिलेटर

छतरपुर। जरा सोचिए जिस जिले की जनसंख्या लगभग 20 लाख हो और जिले में एक शासकीय अस्पताल हो, बावजूद इसके 20 लाख की जनसंख्या वाला जिला मात्र एक वेंटिलेटर पर अपनी स्वास्थ्य सेवाएं जिंदा रखे हुए हैं, सुनने में ये बेहद अजीब लगेगा लेकिन ये हकीकत है मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल की. जिसके दम पर कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने का दावा किया जा रहा है, जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में सिर्फ एक वेंटिलेटर है और उस वेंटिलेटर को ऑपरेट करने वाला एक भी डॉक्टर फिलहाल मौजूद नहीं है.

पूरे अस्पताल में एक वेंटिलेटर

वेंटिलेटर ऑपरेटर ही नहीं

जिला अस्पताल में पदस्थ तमाम बड़े अधिकारी सीएमएचओ से लेकर सिविल सर्जन भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन यहां 20 लाख की जनसंख्या वाले जिले में मात्र एक वेंटिलेटर से काम भगवान भरोसे चल रहा है. खास बात ये है कि शासकीय अस्पताल में जो एक वेंटिलेटर हैं वो भी इस्तेमाल नहीं होता क्योंकि उसे चलाने वाले डॉक्टर ही मौजूद नहीं रहते और न वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाई जा रही है.

अस्पताल में मरीजों की भीड़

मरीजों को किया जाता है रेफर

कोरोना जैसी भयंकर महामारी से वर्तमान में 3 मरीजों की मौत हो चुकी है और कई अन्य मरीजों को सागर रेफर कर दिया गया है. अगर जिला अस्पताल में रखा हुआ वेंटिलेटर सिस्टम काम कर रहा होता या कोई डॉक्टर उसे ऑपरेट कर रहा होता तो शायद जिन मरीजों को सागर रेफर किया गया, उनका इलाज जिला अस्पताल में ही होता.

वेंटिलेटर मशीन

धूल फांक रहा वेंटिलेटर

समाजसेवी वीरेंद्र सिंह राजपूत बताते हैं कि कई दिनों पहले वह अपने परिजन को जिला अस्पताल लेकर गए थे लेकिन वहां पर अचानक तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टरों ने उन्हें बाहर रेफर कर दिया, वजह पूछने पर पता चला कि जिला अस्पताल में रखा हुआ वेंटिलेटर सिस्टम ऑपरेट नहीं होता है.

ऑपरेट ही नहीं होता वेंटिलेटर

प्रशांत महतो बताते हैं कि वह भी कुछ दिनों पहले अपने एक रिश्तेदार के बीमार होने पर उसे जिला अस्पताल ले गए थे लेकिन वहां पर वेंटिलेटर ना होने एवं ऑपरेटर ना मिलने की वजह से उनके रिश्तेदार को भी रेफर कर दिया गया था. जिला अस्पताल में वेंटिलेटर होना न होने के बराबर है. कोरोना जैसी महामारी के दौर में हम बिना वेंटिलेटर सिस्टम के सरवाइव नहीं कर सकते.

अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आलम

मामले में जब हमने सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने भी इस बात को गंभीर बताया, उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हम जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देंगे और वेंटिलेटर चालू करके लोगों को स्वास्थ्य लाभ देंगे, लेकिन फिलहाल हमारे यहां ऐसी कोई सुविधा नहीं है जिसका हमें बेहद अफसोस है.

बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले जिला अस्पताल में कई नेताओं एवं स्थानीय विधायक के द्वारा इस बात का आश्वासन दिया गया था कि जिला अस्पताल के अंदर कई वेंटिलेटर लाए जाएंगे और उन्हें ऑपरेट करने के लिए डॉक्टर भी होंगे, लेकिन हाल तमाम बातें सिर्फ वादे ही रह गईं और अब 20 लाख की जनसंख्या सिर्फ एक बंद पड़े वेंटिलेटर के भरोसे है. फिलहाल वह भी जिला अस्पताल की लापरवाही की वजह से धूल फांक रहा है.

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