छतरपुर। सरकार की फाइलों में कैद आंकड़ों के बीच ग्रामीण अंचलों में गरीब, असहाय व्यक्तियों को संचालित योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है. यह प्रश्न विचारणीय है. बड़े बड़े दावों के बीच क्रियान्वयन इकाई का ढुलमुल रवैया अंतिम छोर के व्यक्ति को न्याय दिलाने में पंगु साबित हो रहा है. शायद यही कारण है कि तमाम पात्र हितग्राही आज भी लाभ पाने की बांट जोह रहे हैं.
ऐसा ही मामला छतरपुर जिले के जनपद पंचायत गौरिहार की ग्राम पंचायत बिजासिन के ग्राम पड़रिया का है जहां पात्र हितग्राही योजनाओं का लाभ पाने के लिए भटक रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब गांव के बलराम यादव के घर पहुंची तो एकाएक यकीन नहीं हुआ कि ऐसा जीवन जीने को कोई मजबूर हो सकता है.
एक कमरा, उसमें फटी पुरानी पन्नी की छाया
बलराम यादव के घर पहुंचने के बाद हमारी सबसे पहले बलराम की पत्नी गुड्डो से बात हुई, गुड्डो ने बताया कि 'मेरे परिवार में कुल 3 सदस्य हैं मेरे पति के अलावा एक 16 साल का बेटा भी है. हमारे पास एक ही कमरा है उसमें भी छत के नाम पर फटी पुरानी पन्नी डाल रखी है, जिसमें जैसे तैसे गुजारा चलता है. हम लोग मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. कृषि भूमि न होने के कारण मजदूरी के अलावा कोई रोजगार नहीं है. हमारे पास राशन पर्ची है जिसमें महीने में जो खाद्यान्न मिलता है उससे गुजारा नहीं हो पाता.'