छतरपुर। छतरपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा की बात करें तो महाराजपुर की पहचान यहां होने वाली पान की खेती से होती है. एक समय था कि महाराजपुर का पान पूरे देश में मशहूर था, इसके अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश तक महाराजपुर के पान की चर्चा थी और बड़े पैमाने पर निर्यात होता था, लेकिन भारत पाकिस्तान के संबंधो में कभी नरमी तो कभी गरमी के चलते धीरे-धीरे पान का व्यावसाय दोनों देशों के बीच बंद हो गया. अब यहां का पान की खेती और व्यावसाय धीरे-धीरे सरकारी नीतियों के चलते धीरे-धीरे दम तोड रहा है और महाराजपुर की पहचान खोती जा रही है.
महाराजपुर विधानसभा सीट का इतिहास:महाराजपुर विधानसभा चार बडे कस्बों को मिलाकर बनी है, इस विधानसभा में महाराजपुर, गढी मलहरा और नौगांव से मिलकर बनी है. महाराजपुर जहां अपनी पान की खेती के लिए मशहूर है, तो नौगांव अंग्रेजों के जमाने की बड़ी छावनी के रूप में चर्चित है. बुंदेला विद्रोह के बीच अंग्रेजों ने नौगांव में फौज रोकने के लिए छावनी की स्थाापना की, छावनी स्थापना के बाद नौगांव को व्यवस्थित बसाने के लिए मास्टर प्लान बनाया गया. आज भी लोग नौगांव के व्यवस्थित बसाहट देखकर अंचभित रह जाते हैं, 1961 से लेकर महाराजपुर विधानसभा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी और 2008 में ये विधानसभा अनारक्षित श्रेणी में आ गयी है.
महाराजपुर विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम:महाराजपुर विधानसभा करीब 47 साल तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहने के बाद 2008 में अनारक्षित हो गयी, 2008 के बाद तीन चुनाव में दो बार मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा चुनाव जीते हैं. 2008 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता, तो 2013 में वह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते और 2018 में कांग्रेस के नीरज दीक्षित से करारी हार का सामना करना पडा, महाराजपुर में अनुसूचित जाति वोट बैंक के कारण बहुजन समाज पार्टी का भी प्रभाव देखने मिलता है.
महाराजपुर विधानसभा सीट का2008 का रिजल्ट:परिसीमन के बाद पहली बार अनारक्षित हुई महाराजपुर सीट से मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा ने जीत हासिल की, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के गुड्डन पाठक को 1391 वोटों से हराया. इस चुनाव में निर्दलीय मानवेन्द्र सिंह को 19 हजार 413 वोट मिले, तो भाजपा के उम्मीदवार गुड्ढन पाठक के लिए 18 हजार 22 मत मिले.
महाराजपुर विधानसभा सीट का2013 का रिजल्ट:2013 विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मानवेन्द्र सिंह ने महाराजपुर से जीत हासिल की, लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लडा और 45 हजार 816 वोट हासिल हुए. उन्होंने अपने निकटतम उम्मीदवार बसपा के राकेश पाठक को 15 हजार 721 मतों से हराया, राकेश पाठक को 30 हजार 95 मत मिले. इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही.