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खेतों में लॉक होकर रह गया पान, कोरोना ने गिराया दाम

एक तरफ लॉकडाउन से पान की खेती करने वाले किसानों को नुकसान हो रहा है. तो दूसरी तरफ बेमौसम बारिश और आंधी-तूफान भी उनके लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है.

Loss of betel farming due to lockdown
खेतों में लॉक होकर रह गया पान

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Published : May 4, 2020, 3:22 PM IST

छतरपुर।एक तरफ लॉकडाउन से पान की खेती करने वाले किसानों को नुकसान हो रहा है. तो दूसरी तरफ बेमौसम बारिश और आंधी-तूफान भी उनके लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है. छतरपुर जिले के महाराजपुर में बैमौसम बारिश से पान की खेती करने वाले किसानों को बड़ा नुकसान हुआ. किसानों की पान के बरेजे बारिश में उखड़ गए. किसानों का कहना है कि उन्हें लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. लेकिन सरकारें राहत के नाम पर बस खानापूर्ति करती हैं, मिलता कुछ नहीं है. किसानों ने शासन से जल्द से जल्द मदद की गुहार लगाई है.

खेतों में लॉक होकर रह गया पान

किसानों का कहना है कि गुटखा एवं पान की दुकानें बंद होने की वजह से पान की बिक्री पर खासा असर पड़ा है लॉकडाउन के चलते पान जिले से बाहर बिकने के लिए नहीं जा पा रहा है सरकार सिर्फ एक पक्ष देख रही है पान की खेती को औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है लेकिन अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में पान की खेती करने वाले किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे.

कोरोना ने डाउन किया पान रेट

पान की खेती में अगर नुकसान की बात की जाए तो अगर इसी तरह लॉकडाउन आगे बढ़ता रहा तो 50% नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. किसानों का कहना है कि गढ़ी मलहरा एवं महाराजपुर में ज्यादातर किसान पान की खेती करते हैं और अगर यहां खेतों में लगा पान लॉकडाउन के चलते पूरी तरह से खराब होता है तो 80 करोड़ का नुकसान पान के किसान उठा सकते हैं.

बुंदेलखंड का पान बाजारों में बिकने को तैयार है, लेकिन अब पान की खेती करने वाले किसानों को फसल खराब होने का डर सताने लगा है. छतरपुर जिले के गढ़ीमलहरा एवं महाराजपुर में बड़े पैमाने पर पान की खेती की जाती है और कई किसानों के परिवारों का भरण-पोषण इसी पर निर्भर रहता है. लॉकडाउन से पहले यहां का पान देश के विभिन्न राज्यों के अलावा पाकिस्तान बांग्लादेश एवं कई अन्य देशों में भी जाता था. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब पान किसानों के खेतों में ही लॉक होकर रह गया है और बिक्री ना होने की वजह से किसानों को इस बात का डर है कि कहीं पान खेतों में ही ना सड़ जाएं.

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