छतरपुर।महामारी से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन ने जहां गरीबों से रोजी-रोटी का जरिया छीन लिया है, वहीं अब उनके पास खाने के लिए अन्न नहीं बचा है. बेरोजगार गरीब अब दो वक्त के खाने के लिए दूसरों पर आश्रित हो गए हैं. उनके सामने अपने परिवार के भरण-पोषण की परेशानिया आ गई हैं. ऐसे समय में अपने बच्चों का पेट भरने छतरपुर का एक मजदूर, गांव से रोजाना सिर्फ इसलिए शहर आता है ताकि वो अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी खिला सके.
शहर से सटा दुर्जनपुरा गांव से मजदूर देशराज रोजाना चिलचिलाती धूप में साइकिल पर अपने बच्चों को बैठाकर इसलिए लाता है, जिससे उसके बच्चे भूखे न रह जाएं.देशराज ने बताया कि वो लॉकडाउन के कारण पिछले कई दिनों से मजदूरी नहीं कर रहा है. जिस वजह से उसके घर में खाना नहीं है. उसे मालूम हुआ कि नगरपालिक में महज 5 रुपए में खाना मिलता है, इसलिए वो रोज ये सफर तय कर खाना खाने आता है.
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बता दें, देशराज के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो 5 रुपए देकर खाना खरीद सके. ऐसे में उसे रास्ते में कभी कोई पैसे देता है, कभी कोई.