छतरपुर। बिजावर में एक ऐसा कृष्ण मंदिर (Krishna mandir) जहां प्रसाद (Prasada) बांटा नहीं जाता, बल्कि प्रसाद लुटाया जाता है. हजारों भक्त भक्ति में लीन होकर यहां प्रसाद लूटते नजर आते हैं. हम बात कर रहे है बिजावर रियासत काल मे निर्मित एक प्राचीन मंदिर की जो क्षेत्र में द्वारकाधीश मंदिर (dwarkadhish mandir) के नाम से प्रसिद्ध है.
आखिर इस मंदिर में क्यों लुटाया जाता है प्रसाद? जानिए परंपरा के पीछे का रहस्य
आपने ने मंदिरों में प्रसाद बंटता (Prasada) तो कई बार देखा और सुना होगा, लेकिन शायद ही कभी प्रसाद लुटाने के बारे में सुना हो, लेकिन यह सत्य है बिजावर में एक ऐसा कृष्ण मंदिर जहां प्रसाद बांटा नहीं जाता, बल्कि प्रसाद लुटाया जाता है. हजारों भक्त भक्ति में लीन होकर यहां प्रसाद लूटते नजर आते हैं.
धनकाना लुटाने की अनोखी परंपरा
दरअसल, द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण जन्मोत्सव के बाद धनकाना लुटाने की अनोखी परंपरा है, जिसके लिए ये मंदिर प्रसिद्ध है. यहां धनकाना लुटाने की परंपरा कई बर्षो से चलन में है. यह परंपरा हर साल जन्माष्टमी के एक दिन कृष्ण जन्म की खुशी के रूप में मनाई जातई है. वर्षो पुरानी परंपरा में दर्जनों व्यक्ति मंदिर की छत से खड़े होकर मिठाईयों को कागज की छोटी-छोटी पैकेट में बंद कर लुटाते हैं.
सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है परंपरा
इसके अलावा मंदिर की ओर से गाना बजाना और डीजे साउंड की भी व्यवस्था की जाती है. मंदिर में नीचे खड़े भक्ति से भरे सैकड़ों युवा, बुजुर्ग, महिलाएं इस धनकाने का प्रसाद लूटते है. बताया जाता है कि यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से ऐसे ही चली आ रही है.
दूर-दूर से आते हैं श्रृद्धालु
मान्यता है कि जो भक्त जितना अधिक प्रसाद लूटता है, उसके घर उतनी ही अधिक खुशियां आती है. यह कार्यक्रम लगभग डेढ़ घंटे तक निरंतर चलता है. आसपास के क्षेत्र के लिये यह त्योहार अनोखा है. लोग दूर-दूर से इस कार्यक्रम में शामिल होने आते हैं, और कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं.