छतरपुर। भगवान कृष्ण की प्रतिमा के साथ तस्वीरों दिख रही ये छोटी सी किताब हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक है, जिसकी लोग कसमें खाते हैं क्योंकि ये किताब नहीं बल्कि, हिंदू धर्म का सबसे पविज्ञ ग्रंथ भगवत गीता है. इस ग्रंथ का ये सबसे छोटा स्वरूप है. एक इंच चौड़ी और दो इंच लबी भगवत गीता बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी के पास है. जिसे वो पिछले 60 सालों से सहेजकर रखे हुए हैं. इस पवित्र ग्रंथ का इससे छोटा स्वरूप पूरी दुनिया में कहीं भी नहीं है.
माचिस की डिब्बी से भी छोटी है ये भगवत गीता, दशकों से संजोये हुए हैं केदारनाथ - छतरपुर
छतरपुर जिले के बिजावर में रहने वाले केदारनाथ विश्ववारी के पास सबसे पविज्ञ ग्रंथों में से एक सबसे छोटी भगवत गीता है. जो दुनिया की सबसे छोटी गीता की पुस्तकों में से एक है. एक इंच चौड़ी और दो इंच लबी यह भगवत गीता बिजावर के केदारनाथ विश्ववारी की है. जिन्होंने इसे 60 साल से सहेजकर रखा हुआ है.
भगवत गीता के इस छोटे स्वरूप की खासियत है कि इसमें लिखे शब्दों को बड़ी ही आसानी से पढ़ा जा सकता है. विश्ववारी ने बताया कि 60 साल पहले उनके पिता ने उन्हें इस ग्रंथ को बतौर विरासत उन्हें सौंपा था, पर ये कितना पुराना है, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी उनके पास भी नहीं है.
दो बाई एक इंच की इस पुस्तक में 100 पेज हैं, जिनमें संपूर्ण गीता दर्ज है. जिसके चलते इसे दुनिया की सबसे छोटी गीता भी कहा जा सकता है. हालांकि अभी ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन विश्ववारी के लिए इसे सुरक्षित रखना भी अपने आप में बड़ी चुनौती है क्योंकि इसका आकार माचिस की डिब्बी से भी छोटा है. ऐतिहासिक पुस्तक होने के चलते इसका ख्याल भी विशेष तौर पर रखना पड़ता है.