छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो में जिला प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जिसकी वजह से एक मजदूर पिछले 10 महीने से जिंदगी और मौत के बीच उलझ कर रह गया है. 10 महीने पहले रघुवर चढ़ार के साथ विश्व पर्यटन स्थल खजुराहो के मतंगेश्वर मंदिर में काम करते वक्त एक पेड़ गिरा था. जिसमें 3 लोग घायल हुए थे. जिनमें से एक महिला की मौके पर मौत हुई थी और एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई थी और रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हुए थे.
प्रशासन की बड़ी लापरवाही, 10 महीने से आर्थिक तंगी से जूझ रहा मजदूर का परिवार - पर्यटन विभाग
छतरपुर के खजुराहो में 10 महीने पहले एक पेड़ गिरने से पहले रघुवर चढ़ार गंभीर रूप से घायल हुए थे. जिनके इलाज में परिवार लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं और उनके ऊपर 5 लाख का कर्ज भी है. लेकिन प्रशासन और पर्यटन विभाग ने किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया.
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घटना में रघुवर चढ़ार की रीढ़ की हड्डी और पैर की हड्डी टूट गई थी. जिस वजह से डॉक्टरों ने उनके परिवार से कहा था कि रघुवर चढ़ार अब जिंदगी भर ना तो अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और ना ही बैठक सकेंगे. 10 महीने बीत जाने के बाद रघुवर चढ़ार का परिवार रघुवर चढ़ार के इलाज में लगभग 10 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं और उनके ऊपर 5 लाख का कर्ज भी है. रघुवर चढ़ार अपने परिवार में इकलौती कमाने वाले थे. घटना के बाद से उनके इलाज के लिए उनके परिवार के लोगों ने कई लोगों से कर्ज भी ले रखा है. लेकिन स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग ने और किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया.
रघुवर चढ़ार जिस वार्ड में रहते हैं उस वार्ड के पार्षद हिरदेश पाठक का कहना है कि उन्होंने रघुवर चढ़ार के लिए हर संभव मदद करने की कोशिश की. घायल होने पर उन्हें शासन की तरफ से 2 लाख रूपये की मदद मिलनी थी. लेकिन 10 महीने बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते आज रघुवर चढ़ार का परिवार आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है. हृदेश पाठक की मानें तो रघुवर चढ़ार पर्यटन विभाग के कहने पर काम करने के लिए गए थे, तो कुछ जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की भी बनती है. जहां पर्यटन विभाग इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से साफ इनकार कर रहा है.