छतरपुर। जिले में शासन-प्रशासन रेत के अवैध उत्खनन पर अंकुश लगाने के लाख दावे कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत में लवकुशनगर अनुभाग के चंदला गौरिहार क्षेत्र से निकली केन नदी से वैध खदानें बंद होने के बावजूद जमकर उत्खनन किया जा रहा है. माफिया रात के अंधेरे में केन नदी में पोकलेन मशीनें उतारकर ट्रैक्टरों और डंपरों में रेत लोडकर उत्तर प्रदेश और अजयगढ़ रूट से सतना की ओर सप्लाई कर रहे हैं. रेत माफिया शासन के करोड़ों के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर और डंपर दिन में भी धड़ल्ले से अधिकारियों से सेटिंग बनाकर निकल रहे हैं. इन दिनों सर्वाधिक उत्खनन गौरिहार थाना क्षेत्र में हो रहा है. इस अवैध कारोबार में थाना पुलिस की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.
जिले की 48 रेत खदानों को आनंदेश्वर एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को उत्खनन के लिए लीज पर दिया गया था, लेकिन कंपनी ने राशि जमा नहीं की. उसकी अवधि भी 6 जून 2020 को समाप्त हो गई. ऐसी स्थिति में सभी खदानों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इसके बावजूद भी गौरिहार थाने के रामपुर, परेई और मवई खदानों से रात में मशीनें उतारकर अवैध रूप से उत्खनन किया जा रहा है. अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही माफिया मशीन सहित मौके से फरार हो जाते हैं.
लवकुशनगर थाना क्षेत्र से निकली उर्मिल नदी के देबीखेड़ा घाट में बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन चल रहा है. रात में मशीनों से रेत निकाली जाती है. इसे ट्रैक्टरों के माध्यम से सप्लाई किया जाता है. दिन में भी रेत से भरे ट्रैक्टरों को सरपट दौड़ते हुए देखा जाता है, जिसकी जानकारी अधिकारियों को है, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
कुछ दिनों पहले ही रेत माफिया ने नदी पर बने स्टॉप डैम कम रिपटा को तोड़ दिया था, जिससे पानी बह गया. इस संबंध में ग्रामीणों ने एसडीएम अविनास रावत से शिकायत भी की, जिसके बाद इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है.