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छतरपुर जिला अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही, मरीजों को लिखी जा रही बाहर की दवाएं - Negligence in Chhatarpur District Hospital

भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले डॉक्टर ही जब लापरवाही और पैसा कमाने के नाम पर गरीबों को महंगी और बाहर की दवाईयां लिखने लगें, तो गरीब क्या करेगा. ऐसे ही मामला छतरपुर के शासकीय जिला अस्पताल से भी समाने आया है, देखिए ETV BHARAT की ग्राउंड रिपोर्ट...

Chhatarpur District Hospital
छतरपुर जिला अस्पताल

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Published : Nov 25, 2020, 8:43 AM IST

Updated : Nov 25, 2020, 9:10 AM IST

छतरपुर। जिले का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल एक बार फिर डॉक्टरों की लापरवाही के चलते सुर्खियों में है, जिला अस्पताल में आने वाले ज्यादातर मरीजों को जिला अस्पताल के अंदर उपलब्ध होने वाली सरकारी दवाएं ना लिखकर डॉक्टर बाहर की दवाएं लिख रहे हैं, जिससे ग्रामीण अंचल एवं गरीब तबके के मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

छतरपुर जिला अस्पताल
  • डॉक्टर सरकारी और दवाई प्राइवेट

छतरपुर जिला अस्पताल एक बार फिर लापरवाही के चलते सुर्खियों में है. इस बार डॉक्टरों की तरफ से बड़ी लापरवाही देखी गई है. जिला अस्पताल के अंदर चेंबर में बैठे डॉक्टर अरुणेंद्र शुक्ला जिन भी मरीजों को देख रहे हैं, उन तमाम मरीजों को बाहर की दवाएं और बाहर की मेडिकल जांच लिख रहे हैं, इस मामले में ETV की टीम ने एक मरीज नहीं बल्कि कई मरीजों से बात की, जिन मरीजों को डॉक्टर अरुणेंद्र शुक्ला ने देखा था, उन सभी मरीजों को ज्यादातर बाहर की मेडिसिन लिखी गई थी. आपको बता दें, कि इससे पहले भी डॉक्टर अरुणेंद्र शुक्ला की शिकायतें मिल चुकी हैं. डॉक्टर साहब ज्यादातर लोगों को बाहर की दवाएं लिखते हैं.

छतरपुर जिला अस्पताल के मरीजों से बातचीत
  • अस्पताल में नहीं मिलते डॉक्टर

ग्रामीण क्षेत्रों एवं दूर-दराज से आने वाले गरीब तबके के लोग डॉक्टरों के इस तरह के व्यवहार से खासे परेशान हैं. मरीजों का कहना है कि जिला अस्पताल के अंदर डॉक्टर मिलते नहीं हैं और बड़ी मुश्किल से अगर कोई डॉक्टर मिल जाता है, तो वह बाहर की दवाइयां लिख देता है, ऐसे में इलाज कराना बेहद कठिन हो जाता है, क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि हम लोग बाहर से दवाएं खरीद सकें.

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तो वहीं मामले में सिविल सर्जन डॉक्टर लखन तिवारी का कहना है कि जिस डॉक्टर की आप बात कर रहे हैं फिलहाल वह ब्लड बैंक के प्रभारी हैं, क्योंकि जिला अस्पताल में डॉक्टर की कमी है इसलिए वह पिछले कुछ दिनों से चेंबर में बैठकर मरीजों को देख लेते हैं, लेकिन अगर ऐसी कोई बात है कि डॉक्टर अरुणेंद्र शुक्ला लगातार मरीजों को बाहर की दवाई लिख रहे हैं, तो मामला गंभीर है मामले की जांच कराई जाएगी, और उन्हें सख्त निर्देश दिए जाएंगे कि आगे से इस प्रकार की कोई गलती न हो.

  • पहले इन डॉक्टर पर उठे हैं सवाल

जिला अस्पताल में बाहर की दवाओं को लिखने का मामला नया नहीं है इससे पहले भी अरुणेंद्र शुक्ला की कार्यशैली पर सवाल उठ चुके हैं. डॉक्टर अरुणेंद्र शुक्ला लगातार मरीजों को बाहर की दवाएं लिखते हैं. वहीं मामले में भले ही सिविल सर्जन इस बात को कह रहे हो कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है और अगर ऐसा कोई मामला है तो निश्चित ही गंभीर है जांच कराई जाएगी, लेकिन हकीकत यही है कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले गरीब तबके के लोग बाहर की दवाओं को लेने में असमर्थ हैं जिसे लेकर मरीजों में गुस्सा है.

Last Updated : Nov 25, 2020, 9:10 AM IST

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