छतरपुर। बीजेपी का संबल भी इनको संबल नहीं दे पाया और न ही कांग्रेस का नया सवेरा इनके जीवन में उजाला कर सका, सूनी गलियां, मायूस चेहरे, खपरैल वाले कच्चे मकान और टिमटिमाती ढिबरी की रोशनी से भविष्य संवारते यहां के बच्चे. आज भी छतरपुरे के बिदासन पुरवा गांव के ज्यादातर घरों में अंधेरा है. इस दौरान कई बार सत्ता बदली, पर इनकी किस्मत अब भी सियासी अंधेरे में गुम है.
बीजेपी की अटल ज्योति भी यहां के ग्रामीणों के जीवन में ज्योति न फैला सकी और न ही सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार का नया सवेरा इनके जीवन में रोशनी का सवेरा ला सका. सत्ता परिवर्तन के बाद सरकारें योजनाओं का नाम बदल देती हैं, इसके बावजूद भी इन योजनाओं का अर्थ नहीं बदलता. हालांकि, इस अंधेरे के पीछे का कुछ ठोस वजह किसी को पता नहीं है.