छतरपुर। वैसे तो खजुराहो को शिव नगरी के नाम से जाना जाता है और खजुराहो में भगवान शिव के कई मंदिर मौजूद हैं, लेकिन खजुराहो में मौजूद दूल्हा देव मंदिर भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो अपने आप में सबसे अलग है. ये मंदिर पश्चिमी समूह के मंदिरों से अलग है.
दूल्हा देव का अनोखा मंदिर खजुराहो का दूल्हा देव मंदिर पूरी दुनिया में अपनी अनोखी कलाकृति एवं अद्भुत बनावट के लिए जाना जाता है. इस मंदिर के अंदर गर्भ गृह में मौजूद भगवान शिव का शिवलिंग पूरी दुनिया में सबसे अलग है. इस मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग में छोटे-छोटे 1101 शिवलिंग बने हुए हैं और ऐसा माना जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से 1101 शिवलिंग के दर्शन करने का पुण्य प्राप्त होता है.
इस मंदिर का निर्माण लगभग 1000 वर्ष पहले चंदेल राजाओं के द्वारा कराया गया था और आज भी मंदिर अपनी शौर्य गाथा लिए खड़ा हुआ है. देश-विदेश से पर्यटक इस मंदिर को ना सिर्फ देखने आते हैं, बल्कि इस मंदिर के बाहर उकेरी गई कामुक कलाकृतियों को देखकर दंग रह जाते हैं.
इस मंदिर की पीछे एक किवदंती ये भी है कि आज से लगभग सैकड़ों वर्ष पहले पास के ही गांव में एक शादी थी, दूल्हा घोड़े पर चढ़कर जा रहा था, तभी दूल्हे ने मंदिर में रुककर भगवान शिव को माथा नहीं टेका और किसी कारणवश दूल्हा घोड़े से गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई. तब से लेकर आज तक इस मंदिर के आसपास लगे गांव में कोई भी शादी होती है तो दूल्हा एक बार इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर आता है. तब से इस मंदिर का नाम दूल्हा देव पड़ गया. लोग ऐसा मानते हैं कि जिस दूल्हे की घोड़े से गिरकर मौत हुई थी, उसकी आत्मा आज भी गांव के आसपास भटकती रहती है. यही वजह है कि शादी करने जा रहा लोग दूल्हा देव के मंदिर में एक बार दर्शन करने के लिए जरूर जाते हैं.