छतरपुर। कहते हैं जिसके बदन पर खाकी होती है उसे अपने आप ही देश की सेवा और रक्षा की चिंता होने लगती है. कुछ ऐसा ही जुनून छतरपुर में देखने को मिल रहा है. कोरोना की लड़ाई में सिविल डिफेंस आपदा प्रबंधन के कुछ वार्डन लगातार कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. जब से लॉकडाउन शुरु हुआ है तब से लेकर अब तक पुलिस बल, सशस्त्र पुलिस बल और सरकार की कई ऐसी एजेंसियां, जो लगातार इस समय लोगों के बीच में पहुंचकर उनकी मदद कर रही हैं, लेकिन एक ओर ऐसी संस्था है, जो बिना किसी शर्त के लोगों के बीच में रहकर काम कर रही है. डिफेंस आपदा प्रबंधन के वार्डन खाकी वर्दी पहनकर पुलिस के समान ही अपना फर्ज निभा रहे हैं वो भी बिना किसी सुरक्षा के. इन वार्डन के पास ना तो मास्क है ना दस्ताने और ना ही कोई अन्य सुरक्षा के साधन. इसके बाद भी इनकी सेवा में कमी नहीं दिख रही है.
देश सेवा का ऐसा गुमान की जान हथेली पर रखकर कर रहे है लोगों की मदद - Lockdown
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सिविल डिफेंस आपदा प्रबंधन के कुछ वार्डन लगातार कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर देश के लिए अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं.
वार्डन कुलदीप सोनकिया ने बताया कि वो और उसके साथी दो महीने से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. वार्डन ने कहा कि यह समय इंसानियत दिखाने का है. उन्होंने कहा कि उन्हें निस्वार्थ भाव से सेवा करने में गर्व महसूस हो रहा है. हालांकि डिफेंस प्रबंधन आपदा के द्वारा इन जवानों को 500 से 700 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना देने की बात कही गई थी, लेकिन पिछले 3 महीने से लगातार ये जवान बिना वेतन के काम कर रहे हैं और इन्हें अभी तक एक बार भी वेतन नहीं मिला है. 8 से 10 घंटे काम करने वाले ये जवान नियमित रूप से ड्यूटी पर आते हैं और अपनी सेवाएं लोगों को दे रहे हैं और उन्हें इस बात का बिल्कुल भी गम नहीं है कि उनकी सेवाओं के बदले उन्हें पैसा मिलेगा या नहीं.
जवानों का कहना है कि खाकी वर्दी का जो सपना था वो भले ही विपरीत परिस्थितियों में पूरा हुआ हो, लेकिन इस खाकी को पहनकर बेहद गर्व महसूस होता है. जिला प्रशासन भले ही हमें पैसा दे या ना दें, लेकिन इस समय हमें जो गर्व महसूस हो रहा है, वो किसी पुरस्कार से कम नहीं है. डिफेंस आपदा प्रबंधन के वार्डन अपनी जान की चिंता किए बगैर ही देश की सेवा कर रहे हैं. ये जवान इन दिनों छतरपुर बस स्टैंड पर देखे जा सकते हैं. जिन्हें पहली बार देखने पर आपको ऐसा लग सकता है कि यह शायद पुलिस के जवान हो, लेकिन यह पुलिस की तरह ही कंधे से कंधा मिलाकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं. 8 से 10 घंटे की ड्यूटी करने वाले ये जवान बेहद सक्रिय एवं फुर्तीले हैं.