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नई परंपराओं के बीच बढ़ी स्वदेशी दीयों की मांग, रोशन हुए कुम्हारों के घर-आंगन - work of making diyas

जिस तरह घड़ी की सुई एक से बारह तक पहुंचती है और फिर बारह से एक पर आ जाती है, ठीक उसी तरह अब लोग नई परंपराओं के बीच पुरानी परंपराओं की तरफ आकर्षित होने लगे हैं.

नई परंपराओं के बीच

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Published : Oct 27, 2019, 12:41 AM IST

छतरपुर। अपने हुनर से मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों के घर-आंगन इस दीवाली पर रोशन नजर आ रहे हैं क्योंकि इस बार दीपावली पर मिट्टी के दीयों की डिमांड बढ़ गई है. बीते कुछ समय से इलेक्ट्रिक दीयों की मांग बढ़ने के चलते मिट्टी के दीयों की मांग कम रहती थी, लेकिन इस बार मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ गई है. जिसके चलते कुम्हारों की दिवाली रोशन है.

नई परंपराओं के बीच

बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी पसंद करने लगे हैं, जबकि पारंपरिक दीयों की मांग अधिक हो रही है, लेकिन चाइनीज दीयों से मोहभंग होने के चलते लोग मिट्टी के दीयों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. यही वजह है कि मिट्टी के दीपक बनाने का काम तेजी से चल रहा है.

देश में मंदी का दौर चल रहा है, जिसका असर धनतेरस पर भी पड़ा, जिसके चलते स्वर्ण व्यापारियों के चेहरे मायूस दिखे, लेकिन बुंदेलखंड के कुम्हारों के चेहरे खिल उठे हैं. कुम्हार बताते हैं कि वे पिछले 50 सालों से दीये बनाने का काम कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में लगातार दीये के कारोबार में मंदी आ रही थी, पर इस बार तेजी आई है.

वहीं, ग्राहकों का कहना है कि महिलाएं देसी सामान खरीदना पसंद करती हैं. जिससे देश का पैसा देश में ही रहे और देसी कारीगरों को काम भी मिलता रहे. इसलिए देसी चीजों पर लोगों को ज्यादा फोकस करना चाहिए.

दीपावली पर दूसरों का घर रोशन करने वाले कुम्हारों के चेहरे पर सालों बाद खुशियां दिखी हैं, क्योंकि अब लोगों का विदेशी सामना से मोहभंग भी होने लगा है. इसके पीछे सरकार भी लोगों को बार-बार स्वदेशी अपनाने की अपील करती रही है, जिसके चलते लोगों को रुझान स्वदेशी की ओर बढ़ा है.

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