छतरपुर। जब बेटियों को जन्म लेने से पहले गर्भ में मार दिया जाता हो,जन्म लेने के बाद मां-बाप को बोझ लगने लगती हों,ऐसे में हजारों बेटियों का बोझ उठाने वाला कोई मसीहा ही हो सकता है.बुंदेलखंड के इस मसीहा को लोग आदर से दादा कहकर बुलाते हैं.जिनका नाम है पुष्पेंद्र प्रताप सिंह.इन्होंने चार हजार बेटियों की शादी का न सिर्फ खर्च उठाया,बल्कि उनका कन्यादान कर पिता का फर्ज भी निभाया.इसके अलावा 20हजार शादियों में अब तक मदद कर चुके हैं.
पुष्पेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्हें लड़कियों की शादी में सहयोग करना और उनका कन्यादान करने में आत्म संतुष्टि मिलती है.यही वजह है कि उन्होंने लड़कियों की शादी में सहयोग करने के लिए अपने घर में ही एक कंट्रोल रूम बना रखा है.जो गरीब परिवार के लोग आर्थिक मदद चाहते हैं,उनके घर में उनके नाम का एक शादी का कार्ड छोड़ जाते हैं.फिर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह यथासंभव उस परिवार की आर्थिक मदद करते हैं.साथ ही शादी में पहुंचकर लड़की का कन्यादान भी करते हैं.
खुद को भाग्यशाली समझते हैं पुष्पेंद्र
छतरपुर के चौबे कॉलोनी के निवासी पुष्पेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि वह अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानते हैं कि वह किसी तरह से बेटियों के काम आ रहे हैं.उनका कहना है कि जब उन्होंने इस काम को करने के लिए सोचा था,तब उन्हें मालूम नहीं था कि आगे चलकर वह इतनी बेटियों का सहयोग कर पाएंगे.इसलिए 15सालों से लगातार पुष्पेंद्र प्रताप सिंह गरीब परिवार की बेटियों के लिए न सिर्फ एक बड़े सहयोगी बनकर उभरे हैं.बल्कि हर बेटी की शादी में भी मौजूद रहते हैं.