छतरपुर।जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर नौगांव ब्लॉक के बरट पंचायत में तालाब किनारे स्थित प्राचीन मंदिर जर्जर हालत में है. ग्रामीणों के मुताबिक पुरातत्व विभाग ने मंदिर के संरक्षण को लेकर कई बार स्टीमेट तैयार किया लेकिन संरक्षण का कार्य कागजों तक ही सीमित है. इसके चलते यह बटेश्वर मंदिर मंदिर धीरे धीरे जर्जर होकर अपनी पहचान खोता जा रहा है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि महिलाएं मंदिर के अंदर नहीं जा सकती हैं. ऐसा नहीं है कि इस मंदिर के अंदर जाने के लिए महिलाओं को रोका जाता हो, बल्कि इस मंदिर में किसी अनहोनी के डर से महिलाएं खुद ही पूजा-अर्चना नहीं करती.
मंदिर क्यों नहीं जाती महिलाएं :लोगों की धारणा है कि अगर धोखे से भी कोई महिला मंदिर के अंदर चली जाती है तो वह अपना मानसिक संतुलन खो देती है या गांव में कुछ अनिष्ट हो जाता है. बरट गांव के तालाब किनारे स्थित 12वीं शताब्दी का यह प्राचीन शिव मंदिर क्षेत्र के साथ पूरे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध है. 12वीं शताब्दी का चंदेलकालीन होने के कारण मंदिर काफी जर्जर हालात में पहुंच गया है. पुरातत्व विभाग ने मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है. संरक्षित स्मारक घोषित होने के बाद से लेकर आज तक पुरातत्व विभाग ने कई बार सर्वे कराया, विभाग ने स्टीमेट तैयार किया. लेकिन काम नहीं हो सका.