छतरपुर। प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के साथ-साथ विश्वभर में शिल्पकला ओर मूर्तिकला के लिए मशहूर खजुराहो में वैसे तो महादेव के कई मंदिर हैं, लेकिन यहां एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां शिवलिंग हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. ये मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीन-प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार है, जिसे मतंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर अपने आप में अनोखा मंदिर है. ये खजुराहो का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है. जहां भगवान शिव की पूजा हर रोज की जाती है. ऐसा माना जाता है कि खजुराहो पुराने समय में शिव नगरी के नाम से जाना जाता था और यहां लगभग 8 से 10 मंदिर भगवान शिव के थे, लेकिन आक्रमणकारियों ने मंदिरों को खंडित कर दिया.
1000 साल पुराना मंदिर
कहा जाता है कि मतंगेश्वर मंदिर एक हजार साल पुराना है, जिसके पीछे कई चुनौतियां और कहानियां मौजूद हैं. वैसे तो खजुराहो में कई प्राचीन शिव मंदिर मौजूद हैं, लेकिन ये एक मात्र ऐसा मंदिर जहां भोलेनाथ की रोजाना आराधना होती है. बता दें शहर में मौजूद प्राचीन शिव मंदिरों में मूर्तियां खंडित हैं, जिस वजह से वहां पूजा नहीं होती है. वहीं लोगों का मानना है कि मतंगेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग हर साल चावल के दाने के बराबर बढ़ती है. हालांकि भूगर्भ शास्त्री ऐसी किसी भी बात को मानने से इंकार करते हैं.
18 फीट ऊंची शिवलिंग
इस मंदिर के अंदर भगवान शिव की एक बड़ी सी शिवलिंग मौजूद है. साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरा मंदिर जहां भक्त दर्शन करने जाते हैं वह योनि पर बना हुआ है. कहते हैं भगवान शिव की शिवलिंग 18 फीट है जो कि 9 फीट ऊपर दिखाई देती है और 9 फीट जमीन के नीचे है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की नीचे मरकत मणि है और यही वजह है कि इस शिवलिंग को छू लेने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
मणि पर स्थापित है शिवलिंग
पुरानी कथाओं की मानें तो इस मंदिर के नीचे एक मरकत मणि है जो कि सभी मनोकामनाओं को पूरी करता है. ऐसा माना जाता है कि जब भी कोई भक्त इस शिवलिंग को छूकर कोई मनोकामना करता है तो वह अवश्य ही पूरी होती है. खजुराहो मंदिरों में गाइड का काम करने वाले श्यामलाल बताते हैं कि यह विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसकी योनि इतनी बड़ी है कि उसी पर बैठकर सब लोग पूजा करते हैं.