छतरपुर।कहते हैं जन्म देने वाली से ज्यादा पालने वाली मां का दर्जा बड़ा होता है. कुछ ऐसा ही छतरपुर जिले के जिला अस्पताल में देखने को मिल रहा है, जहां 8 महीने पहले एक लावारिस नवजात बच्ची को पुलिस के हवाले से जिला अस्पताल के SNCU (सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट) वार्ड में भर्ती किया गया था. बच्ची जिस समय वार्ड में भर्ती की गई थी, उसकी हालत बेहद नाजुक थी, लेकिन SNCU वार्ड की नर्सों और डॉक्टरों ने न सिर्फ बच्ची की जान बचाई बल्कि अब उसे पिछले 8 महीनों से अपनी बेटी की तरह पाल-पोस भी रहे हैं.
चीटियों में लिपटी मिली थी नवजात
आज से ठीक 8 महीने पहले एक नवजात बच्ची मंदिर में पड़ी हुई थी. रोने की आवाज सुनने पर आसपास के लोग एकत्र हो गए और पुलिस को नवजात के बारे में सूचना दी. जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा कि ठंड के मौसम में बच्ची बेहद नाजुक स्थिति में थी. उसके बदन पर चीटियां लगी हुई थी, लेकिन कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बच्ची को कब्जे में लिया और उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल के SNCU वार्ड में भर्ती करा दिया.
अपनी बच्ची की तरह पाल रहे डॉक्टर-नर्स
वार्ड में ज्यादातर महिला नर्स काम करती हैं, जिनकी संख्या करीब 18 से 19 हैं. इस वार्ड के प्रभारी डॉ ऋषि द्विवेदी ही बच्ची का इलाज करते हैं. वहीं इलाज करते- करते इन तमाम नर्सों और डॉक्टर का दिल बच्ची पर कुछ इस तरह आ गया कि उन्होंने मिलकर इस बच्ची को गोद ले लिया. भले ही औपचारिक रूप से इस बच्ची को गोद नहीं लिया गया हो लेकिन पिछले 8 महीनों से इस बच्ची को वार्ड की नर्स और डॉ ऋषि द्विवेदी ही अपनी बच्ची की तरह पाल-पोस रहे हैं.
नैना रखा नाम