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...तो क्या गिर जायेगी मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ?

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Published : May 20, 2019, 7:25 PM IST

Updated : May 21, 2019, 1:10 PM IST

सियासी भंवर में फंसी मध्यप्रदेश सरकार इस संकट से खुद को निकाल पायेगी, या सियासी भंवर में घुटकर दम तोड़ देगी क्योंकि एग्जिट पोल आने के बाद जिस तरह से विपक्ष हमलावर हुआ है, उससे तो यही लगता है कि यदि नतीजों की कसौटी पर एग्जिट पोल खरे उतरते हैं तो प्रदेश सरकार का गिरना लगभग तय हो जायेगा. सियासत में ऐसा उठापटक होना कोई नया नहीं है, पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं, जब दो-चार घंटे के अंदर ही मौजूदा सरकार के गिरने और उसके फौरन बाद नई सरकार का गठन हो गया था.

फाइल फोटो

भोपाल। 17वीं लोकसभा के लिए आखिरी चरण का मतदान रविवार की शाम को संपन्न हो गया, मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए चार चरणों में वोटिंग हुई, मतदान खत्म होने के बाद आये एग्जिट में ज्यादातर ने मोदी लहर बरकरार रहने की बात कही है, एनडीए को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कराने वाले एग्जिट पोल्स ने विपक्षी दलों की नींद हराम कर दी है.

एग्जिट पोल्स के बाद मध्यप्रदेश में सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. विपक्ष जहां फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर रहा है, वहीं सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने का दावा कर रही है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया है, लिहाजा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से फ्लोर टेस्ट कराने का आग्रह किया है.

वहीं, केंद्रीय मंत्री व ग्वालियर सांसद नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश के कुछ कांग्रेस विधायक उनके संपर्क में हैं, जो कांग्रेस की अंदरूनी कलह से परेशान हैं. इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी लंगड़ी सरकार बताते हुए इसके कार्यकाल पर सवाल उठाये थे. हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि यदि विपक्ष मैदान में आना चाहे तो आजमा कर देख ले, तब उसको पता चलेगा कि उसके पास 109 विधायक हैं या 99.

मध्यप्रदेश में पिछले साल 28 नवंबर को विधानसभा की सभी 230 सीटों पर एकसाथ मतदान हुआ था और 11 दिसंबर को मतगणना हुई थी. जिसमें बहुमत के आंकड़े को छूने से दोनों पार्टियां रह गई थीं, लेकिन 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी और 109 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. इसके अलावा चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सीट सपा के खाते में गयी थी. जिसके बाद कांग्रेस चार निर्दलीय विधायकों व दो बसपा विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रही.

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा विधानसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव भी हुए हैं क्योंकि इससे पहले कमलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद रहते हुए ही प्रदेश अध्यक्ष बने और बाद में मुख्यमंत्री, जिसके बाद छिंदवाड़ा विधायक ने मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट खाली कर दी थी, जहां से मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनाव लड़े हैं, अब एक साथ बाप-बेटे दोनों की सियासी किस्मत का फैसला जनता ने ईवीएम में बंद कर दिया है, भले ही ज्यादातर एग्जिट पोल बाप-बेटे का सियासी सितारा बुलंद दिखा रहे हैं, लेकिन फाइनल मुहर तो 23 मई को नतीजे ही लगायेंगे.

Last Updated : May 21, 2019, 1:10 PM IST

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