भोपाल। सभी सरकारें चाहती हैं कि हर हाथ में कलम-किताब हो, मां-बाप भी यही चाहते हैं कि उनके बच्चे को अच्छी तालीम मिले, लेकिन बेहतर माहौल के बिना अच्छी शिक्षा की कल्पना भी बेमानी है. शिक्षण सत्र शुरू होने के साथ ही कमलनाथ सरकार ने कई योजनाओं की शुरूआत की, पर विभाग की नजर स्कूलों की बदहाली पर नहीं पड़ी. जिसके बाद ईटीवी भारत ने 'बदहाल स्कूल' अभियान चलाकर सरकार को आईना दिखाया कि बेहतर भविष्य चाहिए तो स्कूलों की दशा सुधारनी ही पड़ेगी क्योंकि प्रदेश का करीब हर स्कूल बदहाली की कगार पर खड़ा है.
ईटीवी भारत के अभियान पर किया वादा निभाई सरकार तो मील का पत्थर साबित होगा ये बदलाव - ईटीवी भारत से वादा
मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने ईटीवी भारत को भरोसा दिलाया है कि छह महीने से एक साल के अंदर बदहाल स्कूलों की स्थिति में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा, इसके लिए सरकार तेजी से काम कर रही है और छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं के अलावा स्कूलों का कायाकल्प भी किया जायेगा.
स्कूलों की सबसे दयनीय स्थिति ग्रामीण अंचलों में देखने को मिली, जबकि शहरी क्षेत्र भी इससे बचे नहीं हैं. कई स्थान ऐसे हैं, जहां स्कूल भवन तक नहीं है. छात्र टेंट के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं तो कहीं जर्जर भवन में तालीम दी जा रही है. इसके अलावा भी कहीं शिक्षक नहीं हैं तो कहीं स्कूल आवारा पशुओं का अड्डा बनकर रह गये हैं, जबकि कई स्कूलों का रास्ता जोखिम से भरा है. आखिरकार ईटीवी भारत की मुहिम रंग लाई और 8 जुलाई को प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बदहाल व्यवस्था को सुधारने का आश्वासन दिया.
मंत्री का आश्वासन इस बात की तस्दीक करता है कि ईटीवी भारत की हर खबर पर सरकार से लेकर प्रशासन तक की नजर रहती है. ऐसे में अब सरकार यदि स्कूलों की बदहाली दूर करने में कामयाब होती है तो हिंदुस्तान के भविष्य के लिए ये बदलाव मील का पत्थर साबित हो सकता है.