भोपाल। एक शहर जो न रुकता है-न थकता है, हर पल दुनिया के साथ कदमताल करता है. जिसे झीलों की नगरी भोपाल के नाम से जाना जाता है. जिसके सीने पर कई जख्म हैं तो माथे पर उपलब्धियों से भरे कई ताज. जो देश के हृदय प्रदेश की सियासत का सबसे बड़ा केंद्र है और इसी सियासत ने इस बार शहर का नाम पूरे देश में फैला दिया है क्योंकि यहां कांग्रेस के चाणक्य का मुकाबला बीजेपी की साध्वी से है, जिस पर पूरे देश की निगाहें हैं.
कभी कांग्रेस के दबदबे वाली भोपाल लोकसभा सीट अब बीजेपी के मजबूत किले में तब्दील हो चुकी है. बात अगर शहर-ए-नवाब यानि भोपाल के सियासी इतिहास की करें तो यहां अब तक आठ बार बीजेपी का कमल खिला है, जबकि कांग्रेस भी जीत का सिक्सर लगा चुकी है. वहीं, जनसंघ और लोकदल के प्रत्याशी ने भी यहां जीत दर्ज की है. इस सीट से हमेशा दिग्गज ही चुनाव जीतते रहे हैं. पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और कैलाश जोशी जैसे दिग्गज इस सीट का प्रतिनिधित्व देश की सबसे बड़ी पंचायत में कर चुके हैं. हालांकि, 1989 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है पार्टी ने यहां प्रत्याशी भी बदले, लेकिन उसकी जीत का सिलसिला बरकरार रहा.
भोपाल लोकसभा सीट के 21 लाख 41 हजार 88 मतदाता इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिनमें 11 लाख 20 हजार 108 पुरुष मतदाता और 10 लाख 20 हजार 789 महिला मतदाता शामिल हैं, जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 180 है. इस बार 2510 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिनमें 462 को संवेदनशील और 58 बूथ को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है.