बुरहानपुर। जिले के नेपानगर क्षेत्र में आदिवासियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के आदेश का उल्लंघन कर वन अधिकार अधिनियम के पात्र दावेदारों के वन विभाग द्वारा घर जलाए जा रहे हैं. दरअसल वन विभाग द्वारा सोमवार को नेपानगर के गांव सीवल में वन अधिकार के तहत पात्र दावेदार का चोरी-छिपे घर जलाया गया है.
सीवल के रहने वाले सीलदार लगभग 40 साल से यहां रहते आ रहे हैं. वे वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत पात्र दावेदार हैंं और पात्रता के सारे सबूत भी हैं. वन अधिकार अधिनियम में यह स्पष्ट किया गया है कि वन अधिकार के दावों की जांच और सत्यापन के बाद नियमानुसार प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी दावेदार को अपनी भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता है.
इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार के आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा पारित 1 मई 2019 के आदेश में स्पष्ट है कि वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत वन मित्र द्वारा प्रक्रिया को पूरी होने तक किसी भी विभाग द्वारा दावेदारों पर कार्रवाई नहीं हो सकती है. इसके बावजूद वन विभाग द्वारा भारत सरकार के संवैधानिक कानून और मध्य प्रदेश सरकार के आदेशों का उल्लंघन कर रहा है.
सीलदार ने कहा कि खेत में रखवाली के लिए बनाए गए टपरी को वन विभाग द्वारा जला दिया गया. जलाने के बाद वन विभाग का अमला मौके से भाग जाता है. जब गांव के लोगो ने वन विभाग के रेंजर को फोन किया, तब रेंजर दिनेश वास्कले ने साफ धमकी दी कि 'अभी तो मैं तेरे को खेत में बोने नहीं दूंगा, तुम्हारी सारी टपरी तोड़ दूंगा'. पिछले साल भी इसी तरह की अवैध टपरी तोड़ने की कार्रवाई को अंजाम देने के कारण रेंजर, एसडीओ और डीएफओ पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कानून और सरकारी आदेशों का उल्लंघन करने के लिए दंडात्मक कार्रवाई हुई थी.
जब सभी आदिवासी किसान-मजदूर आसपास मजदूरी के लिए काम पर लगे हुए होते हैं, तब चोरी-छिपे वन विभाग केे अधिकारी उनकी टपरी जलाकर चले जाते हैं. गांव सिवल के निवासियों द्वारा इस संबंध में नेपानगर थाने में शिकायत की गई है. इसमें मप्र सरकार के आदेश के उल्लंघन के साथ वन अधिकार अधिनियम 2006 के उल्लंघन करने के लिए दोषी वन अमले के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
रेंजर दिनेश वास्कले द्वारा जान से मारने, घर जलाने और गैर कानूनी रुप से धमकी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. एक आदिवासी का घर जलाने के लिए अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की है. आदिवासियों ने कहा वन विभाग द्वारा हम पर अत्याचार किया जा रहा है. जबरन कार्रवाई की जा रही है.