बुरहानपुर। धुलकोट क्षेत्र में सुक्ता बांध में डूब प्रभावित आदिवासियों ने असीरगढ़ के पास कंपार्टमेंट क्रमांक 23 में जमीन की मांग की है. गांव के डूब में आने के चलते ग्रामीणों को दूसरे ग्रामों में शिफ्ट करने का प्रयास किया गया. लेकिन ग्रामीणों ने साथ रहने के लिए जमीन की मांग की है. बुधवार को कांग्रेस नेता अंतरसिंह बर्डे के साथ समाजजन कलेक्ट्रेट पहुंचे. जहां कलेक्टर प्रवीण सिंह को पूरे मामले की जानकारी दी.
अंतरसिंह बर्डे ने बताया कि मप्र शासन वनविभाग के आदेशानुसार वनग्राम कोटरा के निवासियों को बसाने के लिए प्रस्ताव वन मंडलाधिकारी दक्षिण खंडवा से प्राप्त किए गए हैं. इसमें कोटरा वनग्राम की संपूर्ण भूमि सुक्ता बांध परियोजना की डूब में आ रही है. इसलिए ग्राम के निवासियों को वहां से हटाकर अन्य ग्रामों में बसाने के प्रयास किया गया है. इसमें ग्रामवासी सहमत नहीं हुए और उन्होनें एक साथ रहने की मांग की है. इस पर कलेक्टर ने जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया हैं.
डूब प्रभावित आदिवासियों ने की जमीन की मांग
पीड़ितो ने हरीजन कल्याण विभाग मंत्री के नाम आवेदन कर आरक्षित वन कम्पार्टमेंट 23 में बसने की इच्छा जाहिर की है. वर्तमान में स्थित में क्षेत्रफल 263.54 हेक्टर है, वर्तमान कोटरा के निवासियों ने टप्पर बनाकर कंपाटमेंट 23 में रहना प्रारंभ कर दिया है. इसके अलावा अन्य वन विहिन क्षेत्र उपलब्ध नही है. वन मंडलाधिकारी ने उनके पत्र के द्वारा ग्रामवासियों के मकानों का मुआवजा कुल 24 लाख 46 हजार 872 रुपए गणना कर भुगतान के लिए अधीक्षण यंत्री लोजर नर्मदा मंडल खरगोन है, निर्वहन किया है.
कोटरा वनग्राम में 31 कामगार और 10 मजदूर है. इन लोगों को नये स्थान पर मकान एवं खेत तैयार में 63 लाख 218 हजार 72 रुपए का खर्च किया जायेगा. जिसमें खेत तैयार करने का 37 लाख 750 हजार रूपये और मकान का 24 लाख 46 हजार 872 रुपए शामिल है. प्रत्येक व्यक्तिकार मकान संबंधी मुल्यांकन पत्रक वर्ग और खेत तैयार करने के लिए व्यय दर्शाने वाला पत्र मूल रूप से संलग्न भेजा जा रहा है। 31 मकानकारो 22 हेक्टर प्रति व्यक्गित के लिए भूमि देना का प्रस्ताव किया गया है. इतनी ही भूमि के खेत तैयार करने हेतु मूल्यांकन किया गया है.