बुरहानपुर। जिला अपने दामन में न केवल ऐतिहासिक विरासतों को समेटे हुए है, बल्कि मुख्यालय से 45 किमी दूर बादलखोरा की पहाड़ियों में कई तरह की असाध्य बीमारियों को दूर करने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियों को समाए रखा है, लेकिन सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते इन जड़ी बूटियों का लाभ लोगों को मिल नहीं पा रहा है, जबकि क्षेत्रवासियों ने कई बार सरकार से इस क्षेत्र में रिसर्च कराने और इस अनमोल खजाने को सहेजने की मांग की है, बावजूद अब तक इस बेशकीमती जड़ी बूटियों को सहेजने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
बादलखोरा की पहाड़ियों में हैं बेशकीमती जड़ी बूटियां, सरकार नहीं दे रही ध्यान - burhanpur news
जिला अपने दामन में न केवल ऐतिहासिक विरासतों को समेटे हैं, बल्कि मुख्यालय से 45 किमी दूर बादलखोरा की पहाड़ियों में कई तरह की असाध्य बीमारियों को दूर करने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियों को समाए रखा है, लेकिन सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते इन जड़ी बूटियों का लाभ लोगों को मिल नहीं पा रहा है.
बोदरली वन परिक्षेत्र के बादलखोरा के जंगल में करीब 700 फीट ऊंचाई से झरने की धारा गिरती है, जिसके नीचे एक बड़ा पत्थर हमेशा हरियाली से भरा रहता है, इस पत्थर पर अनेकों तरह के वनस्पति दिखाई देते हैं, बादलखोरा का जंगल न सिर्फ बेशकीमती जड़ी बूटियों के लिए जाना जाता है, बल्कि धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है, यहां शिव मंदिर, सहित अन्य देवस्थान हैं.
जानकारो कि मानें तो अगर यहां रिसर्च कराई जाए तो कई गंभीर रोगों को ठीक करने वाली औषधियां मिल सकती हैं, जिसका लाभ देशभर के लोगों को मिल सकता है, इतिहासकारों के मुताबिक जब रावण से युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और वो मूर्छित हो गए तो वेद सुखेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी से भरा पर्वत उठा लाए थे, दावा किया जाता है कि वायु मार्ग से हनुमान जी के लंका जाते समय इस पर्वत का एक टुकड़ा इस जंगल में गिर गया था तब से यहां पर अनमोल जड़ी बूटियों का खजाना है. पुजारी भूतानंद भारती महाराज ने प्रशासन से यहां तक पहुंच मार्ग, नदियों का पुल बनाने और ट्यूबवेल लगाने की मांग की है.