बुरहानपुर। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र के झिरपांजरिया गांव में आदिवासी समाजजन ने पूरे प्रदेश के लिए मिसाल पेश की है. अन्य शहरों, गांवों में ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए शासन, प्रशासन को कवायदें करना पड़ रही है, लेकिन झिरपांजरिया के लोगों ने खुद ही ध्वनि प्रदूषण को खत्म करने के लिए शादियों, कार्यक्रमों में डीजे नहीं बजाने का निर्णय लिया है. इस पर अमल भी शुरू कर दिया है. झिरपांजरिया गांव में पास ही के गांव बोरी-बुजूर्ग से बारात तो आई, लेकिन इसमें खास बात ये थी कि ना तो डीजे और ना ही बैंड बाजा था. समारोह में महिलाएं पारंपरिक गीत गा रही थीं. वो भी बिना लाउड स्पीकर के. इन मधुर गीतों पर बराती और घराती थिरके भी. इस प्रेरणादायक कदम की खबर जिलेभर में फैली तो शासन, प्रशासन, धर्म गुरुओं ने सराहना की.
बुरहानपुर के गांव में लाउडस्पीकर बैन: दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए मंदिर, मस्जिद से अतिरिक्त लाउड स्पीकर हटाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही शादियों या अन्य कार्यक्रमों में बजने वाले डीजे के साउंड को भी तय मानक पर बजाने के लिए कहा है. इस निर्णय का सबसे पहले पालन धुलकोट क्षेत्र के आदिवासी समाजजन ने किया है. ग्राम पंचायत झिरपांजरिया की सरपंच सायलीबाई जयसिंह लोहारे ने गांव के पटेल, पूजारों के साथ बैठक की.