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नेपानगर में जंगल कटाई और आदिवासियों द्वारा किया गया अतिक्रमण बना चुनावी मुद्दा - Outside tribal Burhanpur

नेपानगर क्षेत्र के जंगलों की कटाई और बाहरी आदिवासियों द्वारा किया गया अतिक्रमण नेपानगर में होने वाले उपचुनाव में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा.

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नेपानगर में जंगल कटाई चुनावी मुद्दा

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Published : Sep 13, 2020, 2:53 PM IST

बुरहानपुर। जिले के नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुईं सुमित्रा देवी कासदेकर को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने रामकिशन पटेल को अधिकृत प्रत्याशी बनाया है. इस उपचुनाव में नेपानगर क्षेत्र के जंगलों की कटाई सबसे प्रमुख मुद्दा होगा, क्योंकि नेपानगर में जब चुनाव होते हैं, जंगल कटाई और बाहरी आदिवासियों द्वारा किया गया अतिक्रमण का मुद्दा उठाया जाता है. स्थानीय आदिवासियों ने दोनों ही दल कांग्रेस और बीजेपी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए जंगलों की कटाई करने वाले बाहरी आदिवासियों को बढ़ावा देने का खुला आरोप लगाया है, जबकि कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही दलों ने आरोपों को सिरे से नकारते हुए, जंगलों की कटाई के लिए अपने-अपने विरोधी दलों को जिम्मेदार ठहराया है.

नेपानगर में जंगल कटाई चुनावी मुद्दा

किसी जमाने में नेपानगर का जंगल काफी घना था, लेकिन बीते एक दशक से बाहरी आदिवासी राजनीतिक संरक्षण के चलते यहां आकर जंगलों की अंधाधुंध कटाई कर रहा हैं और जमीनों पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहे हैं. इन बाहरी आदिवासी अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं की ये मूल आदिवासियों और वन विभाग के अमले पर हमले करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं, स्थानीय आदिवासियों का आरोप है कि दलाल लोग बाहरी आदिवासियों को पैसे के एवज में जंगल की खरीद फरोख्त करके जमीन का पट्टा दिला रहे हैं, आदिवासियों का कहना है कि वन अधिकार कानून में सामूहिक दावों का प्रावधान है, लेकिन जिला प्रशासन इसको दरकिनार करके बाहरी आदिवासियों को पट्टा दे रहा है, जिससे स्थानीय आदिवासी समाज काफी नाराज है, दोनों ही दल बीजेपी और कांग्रेस आदिवासियों के इस आरोप को खारिज कर रहे हैं, बीजेपी नेता सुजीत पाटिल जंगलों को बचाने की वकालत कर रहे हैं, वहीं नगर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सोहन सैनी जंगल कटाई के लिए विरोधी दल बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

जुलाई 2019 में नेपानगर क्षेत्र के बदनापुर के जंगलों में अतिक्रमण रोकने गए वन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम की कार्रवाई का आदिवासियों ने विरोध किया था. जिसकी जवाबी कार्रवाई में वन विभाग को गोली चलानी पड़ी, जिसके बाद गोली चालन पर सियासत गरमाई, सियासत गरमाता देख तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने दोषी वन अफसर कर्मियों पर तत्काल कार्रवाई की और आनन-फानन में अपने तीन मंत्री, तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंघार, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमप्रकाश मरकाम को जंगलों का दौरा करने और आदिवासियों से चर्चा करने के लिए भेजा था. इस दौरान नाराज वन कर्मियों ने मोर्चा खोला और आगाह किया कि नेपानगर क्षेत्र के जंगलों में कटाई व जमीन पर अतिक्रमण का गिरोह चल रहा है, जिसे अभी नहीं रोका गया तो जंगल का सफाया हो जाएगा.

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