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कोरोना साइड इफेक्ट: बच्चों का भविष्य संवारने वाला शिक्षक बेचने लगा पानीपुरी, संघर्ष को ऐसे किया बयां - vijay bawaskar struggled in corona period

पूर्व शिक्षक विजय बावसकर करीब 9 महीने पहले तक खंडवा के एक निजी स्कूल में बच्चों का भविष्य संवार रहे थे, लेकिन इस बीच कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के कारण पहले संस्थान ने उन्हें अस्थाई तौर पर घर बैठने के लिए कहा और बाद में स्थाई रूप से उन्हें काम से हटा दिया गया. लेकिन उन्होंने एक नया काम शुरु किया है जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं...

Teacher started selling panipuri
शिक्षक बेचने लगा पानीपुरी

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Published : Dec 20, 2020, 1:01 AM IST

बुरहानपुर। इस साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने भारत की अर्थव्यवस्था को घुटनों पर ला दिया था. अप्रैल से लेकर जून के बीच में देश की इकनॉमी बहुत ही निचले स्तर पर पहुंच गई थी. जिसका असर देश के हर एक नागरिक पर देखा जा सकता था. एक ऐसी ही कहानी बुरहानपुर जिले के नेपानगर में रहने वाले शिक्षक विजय बावसकर की है. जो कोरोना से पहले खंडवा जिले के एक निजी स्कूल में बच्चों का भविष्य संवार रहे थे. लेकिन उन्हें कहां पता था कि कोरोना उनका रोजगार छीन लेगा और उन्हें अपने परिवार के भरण पोषण के लिए चाट व पानीपुरी का ठेला लगाना पड़ेगा. वैसे तो विजय बावसकर पेशे से एक शिक्षक है और वह इंग्लिश में एमए है.

विजय बावसकर का शिक्षक से लेकर पानीपुरी बेचने का सफर

11 सदस्यों के पेट पालने की जिम्मेदारी

चाट का ठेला लगाने वाले शिक्षक विजय बावसकर ने बताया कि उनके ऊपर परिवार के 11 सदस्यों का पेट पालने की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में उनके पास पैसे की जो भी सेविंग थी वो लॉकडाउन में खत्म हो गई थी. लेकिन जैसे ही देश में अनलॉक हुआ तो उसके पास घर चलाने के लिए पैसे नहीं बचे थे. उन्होंने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी समस्या परिवार का भरण पोषण करने की थी. शिक्षक विजय बावसकर ने कहा कि इस दौरान उन्होंने रोजगार तलाशने की कोशिश की लेकिन कहीं भी सफलता हाथ नहीं लगी.

शिक्षक विजय बावसकर का ठेला

हाथ लगी मायूसी

शिक्षक विजय बावसकर ने कहा कि उन्होंने शहर भर में काम तलाशा लेकिन उन्हें कहीं भी काम नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक मजदूरी का काम करके अपने परिवार का पेट पाला. लेकिन उन्हें बाद में एहसास हुआ कि इस काम से उन्हें बेहद कम आमदनी होती थी. जिससे घर का खर्च चल पाना बेहद ही मुश्किल साबित हो रहा है. जिसके बाद उन्होंने कुछ कंपनियों में जॉब के लिए एप्लाई किया लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी.

विजय बावसकर की मार्क्स शीट

एमपी टीईटी क्वालीफाई है विजय बावसकर

शिक्षक विजय बावसकर ने बताया कि उन्होंने काम तलाशने के दौरान कुछ कंपनियों में जॉब अप्लाई किया. लेकिन कंपनी ने यह कहकर जॉब देने से इंकार कर दिया कि आप एमपी टीईटी क्वालीफाई है. कंपनी ने कहा कि कल को उनकी जॉब लग गई तो वह कंपनी की जॉब छोड़ देंगे इसलिए शिक्षक को वहां से भी निराशा हाथ लगी.

एमपी टीईटी क्वालीफाई

दोस्त ने की मदद

शिक्षक विजय बावसकर ने बताया कि परेशानी की इस घड़ी में उनके दोस्त जितेंद्र सोनी ने आकर उनकी परेशानी को समझा और उनकी चाट का ठेला खुलवाने के लिए आर्थिक मदद की. उनके मित्र ने भेल के सामान दिलवाया जिसकी मदद से उन्होंने चाट का ठेला लगाना शुरु किया. शिक्षक ने कहा कि कुछ लोग उनकी लॉकडाउन के दौर से मदद कर रहे हैं और उन्होंने सभी को धन्यवाद कहा है.

चाट बनाते विजय बावसकर

शिक्षक विजय बावसकर ने कहा कि उन जैसे लाखों और करीब 30 हजार चयनित शिक्षकों की आर्थिक स्थिति खराब है. उन्होंने सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि सरकार शिक्षकों के लिए ऐसी स्कीन लेकर आए, ताकि वह भी अपना गुजारा कर सके. उन्होंने सरकार से निवेदन करते हुए कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों की भर्ती जल्द से जल्द करे.

ऐसे किया संघर्ष

कभी स्कूल में बतौर शिक्षक बच्चों का भविष्य संवारने वाला शिक्षक कोरोना साइड इफेक्ट का शिकार होकर आज पानीपुरी, भेल, समोसे और कचोरी बेचने वाला बन गया है. पूर्व शिक्षक विजय बावसकर करीब 9 महीने पहले तक खंडवा के एक निजी स्कूल में बच्चों का भविष्य संवार रहे थे, लेकिन इस बीच कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के कारण पहले संस्थान ने उन्हें अस्थाई तौर पर घर बैठने के लिए कहा और बाद में स्थाई रूप से उन्हें काम से हटा दिया गया. जिसके बाद 11 सदस्यीय परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाने वाले विजय में हर जगह काम तलाशने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने उन्हें काम नहीं दिया.

खुद का शुरु किया व्यवसाय

नौकरी की तलाश में थके हारे विजय ने आखिरकार पान गुमटी चलाने वाले अपने एक मित्र से सलाह और सहायता मांगी तो उसने आर्थिक मदद के साथ ही उन्हें पानीपुरी, भेल, समोसे और कचौरी का ठेला खोलकर खुद का व्यवसाय शुरू करने की सलाह दी. इसके अलावा कई अन्य लोगों द्वारा विजय की मदद की गई. जिसके चलते अब वह किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर पा रहे हैं.

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