बुरहानपुर। देशभर में भगवान शिव के अनेक मंदिर अपनी-अपनी मान्यता, विशेषता और कविदंतियों के कारण भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र हैं. बुरहानपुर में असीरगढ़ के किले पर स्थित शिवालय भी अपने रहस्य के कारण श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है. माना जाता है कि यहां अश्वत्थामा खुद रोजाना भोलेनाथ की अराधना करने आते हैं और शिवलिंग पर सबसे पहले गुलाब का फूल वे ही चढ़ाकर जाते हैं.
बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमिटर दूर असीरगढ़ का किला अपनी ऐतिहासिक पहचान के लिए तो मशहूर है ही, साथ ही साथ वहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर के लिए भी जाना जाता है. इंदौर इच्छापुर राजमार्ग पर असीग गांव में स्थित असीरगढ़ का किला महाभारत काल से भी पुराना है, जिसे लेकर मान्यता है कि मृत्यु पर विजय पाने वाले अश्वत्थामा शिव की अराधना करने रोजाना यहां आते हैं और एक ताजा गुलाब का फूल शिवलिंग पर चढ़ाकर जाते हैं.
5000 साल पुराना शिव मंदिर
कभी 'दक्कन का द्वार' के नाम से मशहूर असीरगढ़ किले का इतिहास अतिप्राचीन हैं. यही वजह है कि करीब पांच हजार साल पुराना शिव मंदिर यहां मौजूद है. श्रावण मास में भोलेनाथ का पूजन करने देशभर भक्त इस मंदिर पहुंचते हैं. मंदिर आए श्रद्धालुओं को भी कई बार तो शिवलिंग पर फूल चढ़े मिलते हैं.
समुद्र तल से 750 फिट ऊंचा