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बुरहानपुर जिले की भावसा चौकी बीट में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, ग्रामीणों में वन कर्मियों का भय नहीं

बुरहानपुर जिले की भावसा वन चौकी बीट 437 में पेड़ों की अवैध कटाई की गई. इसकी शिकायत के बाद भी विन विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है. ये स्थान जंगल में सुदूर होने के कारण वन विभाग कड़ी निगरानी नहीं कर पाता है. इसके अलावा ग्रामीण यहां के वन कर्मियों से डरते भी नहीं.

Burhanpur news Indiscriminate cutting of trees
बुरहानपुर जिले की भावसा चौकी बीट में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 28, 2023, 10:33 AM IST

बुरहानपुर जिले की भावसा चौकी बीट में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई

बुरहानपुर। शाहपुर वन परिक्षेत्र के भावसा वन क्षेत्र में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई रोकने में वन विभाग नाकाम साबित हो रहा है. पिछले कई महीनों से भावसा क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई हो रही है, लेकिन दोषियों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. समाजसेवी जितेंद्र रावतोले ने बताया कि भावसा चौकी के बीट 437 में वन रक्षकों की लापरवाही से पिछले कई महीनों से कटाई का सिलसिला जारी है. जिस जगह प्लांटेशन हुआ था, वहां पर 2011 में वन मंत्री सरताज सिंह ने भी हेलीकॉप्टर से उतरकर जायजा लिया था.

ग्रुप में आते हैं ग्रामीण :इस प्लांट में बड़ी संख्या में बांस और आंवले के पेड़ लगे थे. इस मामले में डीएफओ विजयसिंह का कहना है कि उस क्षेत्र में 100 से 200 लोग सामूहिक रूप से आकर जंगल को काटते हैं. समय-समय पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती हैं. जंगल काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से क्षेत्र में वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है. वन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है, जिसके चलते अतिक्रमणकारी वन भूमि पर कब्जा करने में सफल हो रहे हैं. इस क्षेत्र में 2011 में पूर्व वन मंत्री सरताज सिंह खुद आए थे, उस समय भी जंगलों में अवैध कटाई का मुद्दा गरमाया था.

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सुदूर इलाका होने से मॉनीटरिंग नहीं :बता दें कि सुदुर इलाका होने से अधिकारी भी इस क्षेत्र में जायजा लेने कम आते है. इससे छोटे कर्मचारियों के हौसले बुलंद हैं. बता दें कि इस प्लांट में बड़ी संख्या में बांस और आंवले के पेड़ लगे थे. जो अब गिनती के ही बचे हैं. ग्रामीणों से वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत रहती है. कई बार वन कर्मचारी इन ग्रामीणों से पंगा नहीं लेना चाहते, क्योंकि ग्रुप बनाकर आते हैं और पेड़ काटकर ले जाते हैं. इस स्थान पर पहुंचने के लिए कोई सुगम मार्ग भी नहीं. इसलिए ग्रामीण बेधड़क कटाई करते हैं.

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