बुरहानपुर। 'दक्कन का द्वार' नाम से प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगर बुरहानपुर अपने आप मे कई विरासतों को समेटे हुए और रोमांच से भरा पड़ा है, यहां शाही किले में मुमताज ने चौदहवें बच्चे को जन्म देने के समय अंतिम सांस ली थी, अंतिम समय में बेगम मुमताज ने शाहजहां से एक मकबरा बनाने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके बाद शाहजहां ने दुनिया के अजूबों में से एक आगरा का ताजमहल बेगम मुमताज की याद में बनवाया, लेकिन इससे पहले 6 माह तक बेगम मुमताज के शव को जैनाबाद के पास पाइन बाग में रखा गया.
इतिहासकार बताते हैं कि, 7 जून या 17 जून 1631 में बेगम मुमताज ने इस महल में आखरी सांस ली, जिसके बाद सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी के तट पर स्थित ग्राम जैनाबाद में 6 माह तक उनके शव को लेप से लपेट कर रखा गया था. शाहजहां ने मुमताज की याद में सफेद संगमरमर का ताजमहल बनवाया था.