बुरहानपुर। जिस दौर में खून के रिश्तों में दरार आ रही, ऐसे में किसी शख्स का बेजुबान जानवरों की सेवा में न केवल अपना पूरा जीवन समर्पित कर देना, बल्कि इस काम में अपनी पूरी कमाई भी झोंक देना किसी आश्चर्य से कम नहीं है. पिछले बीस साल से ये काम कर रहीं हैं नेपानगर की रिटायर्ड शिक्षिका रागिनी सिन्हा. जिन्होंने अपने घर को ही शेल्टर होम में तब्दील कर दिया है. इस घर में उनके साथ दर्जनों कुत्ते, बिल्ली, गिलहरी, बंदर समेत कई जानवर रहते हैं.
रागिनी की पशु प्रेमी बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, जो महान लेखिका महादेवी वर्मा की कहानी गिल्लू से मिलती जुलती है. रागिनी बताती हैं कि उन्हें एक घायल गिलहरी मिली थी. जिसे वे इलाज के लिए घर ले आईं और ये सिलसिला चल पड़ा.
रागिनी सिन्हा से खास बातचीत इस शेल्टर होम की खासियत ये है कि यहां जो जानवर आए हैं, उन्हें ज्यादातर घायल हालत में लाया गया है. रागिनी की बेजुबानों के प्रति दीवानगी का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे एक घायल कुत्ते के इलाज के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर जबलपुर पहुंच गईं थीं और वहां 15 दिनों तक होटल में रहकर कुत्ते का इलाज कराई थीं.
रागिनी का अब एक ही सपना है कि नेपानगर में पशु चिकित्सालय खुल जाए और बेजुबान पशुओं के लिए शेल्टर होम बनाने के लिए सरकार की तरफ से जमीन मिल जाए, इसके लिए उन्होंने स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
पशु प्रेमी मैडम के नाम से मशहूर रागिनी के इस काम में उनकी बहन भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहीं हैं. इन दोनों बहनों ने अपना पूरा जीवन बेजुबानों की सेवा में लगा दिया है. शायद इसी वजह से दोनों ने शादी भी नहीं की है.