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सेना का 'ब्रह्मास्त्र'! बिना इंटरनेट दुर्गम क्षेत्रों में दुश्मन की 'चाल' पर नजर रखेगा 'बाज' - भारतीय सेना के डाटा ट्रांसफर

पहाड़ों, रेतीले मैदानों और दुर्गम क्षेत्रों में देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहने वाली भारतीय सेना को अब डाटा शेयर करने जैसी तमाम परेशानियों से जूझना नहीं पड़ेगा. भोपाल में युवाओं की एक टीम ऐसा डिवाइस तैयार कर रही है, जो भारतीय सेना के डाटा ट्रांसफर में काफी मददगार साबित होगा.

Next generation data communication radio
नेक्स्ट जनरेशन डाटा कम्युनिकेशन रेडियो

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Published : Feb 10, 2021, 7:42 PM IST

Updated : Feb 10, 2021, 9:02 PM IST

भोपाल।आधुनिक जमाने में अब भारतीय सेना भी अपने आप को अपडेट करती जा रही है. लेकिन जब भारतीय सेना दुर्गम क्षेत्रों, पहाड़ों और रेतीले मैदानों में देश की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन चलाती है, तो वहां पर इंटरनेट की सुविधाएं नहीं होती. इंटरनेट के अभाव में सेना को डाटा शेयर करने और डाटा लिक होने जैसी तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब सेना को ये परेशानी नहीं आएगी. क्योंकि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कुछ युवक ऐसा डिवाइस तैयार कर रहे हैं, जो आने वाले समय में भारतीय सेना के डाटा ट्रांसफर में काफी मददगार साबित होगा. इस डिवाइस का नाम 'नेक्स्ट जनरेशन डाटा कम्युनिकेशन रेडियो' रखा गया है.

सेना का 'ब्रह्मास्त्र'!

आसानी से शेयर होगा डेटा

भारतीय सेना रेडियो सेट के जरिए तो आसानी से बातचीत कर पाती है, लेकिन डाटा के रूप में फोटो, लोकेशन समेत कई जानकारी बेस कैंप्स तक नहीं भेज पाती है. इसके लिए विशेष रूप से सेना को हैवी सिस्टम का उपयोग करना पड़ता है. ये सिस्टम युद्ध के समय सुरक्षा की दृष्टि से उपयोग नहीं हो सकता है. हैवी सिस्टम में पूरी यूनिट सेट करनी होती है. इस समस्या के समाधान के लिए भोपाल के युवाओं ने 'नेक्स्ट जनरेशन रेडियो सिस्टम' का निर्माण किया है, जिससे आसानी से डाटा शेयर होगा.

एक छोटे से बॉक्स जैसा है डिवाइस

'नेक्स्ट जनरेशन डाटा कम्युनिकेशन रेडियो' एक छोटे से बॉक्स के रूप में आसानी से बैग में रखा जाने वाला डिवाइस है. इसका निर्माण नई स्टार्टअप कंपनी 'ब्रूटेक सिस्टम' कर रही है. कंपनी के सदस्य सचिन राय ने बताया कि स्टार्टअप कंपनी जो डिवाइस बना रही है, वो बॉक्स की तरह दिखने वाला है. इस डिवाइस को सेना के जवान पीठ पर रखकर ड्यूटी कर सकते हैं.

छोटे से बॉक्स जैसा है डिवाइस

उन्होंने बताया कि दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण इसे radio-frequency से संचालित किया जाता है. पहले जो डिवाइस थे, उसमें सिर्फ आवाज का ही आदान-प्रदान हो पाता था, लेकिन अब डाटा ट्रांसफर भी संभव है. इसके लिए एक विशेष मोबाइल की तरह दिखने वाला डिवाइस भी तैयार किया जा रहा है, जिससे लोकेशन सहित फोटो और सिग्नल(संकेत) भी भेजे जा सकेंगे.

1-2 साल में सेना कर सकेगी उपयोग

सचिन राय ने बताया कि युद्ध के दौरान रास्ता भटक जाने और दुश्मन की सीमा में पहुंच जाने के दौरान भी इस डिवाइस के जरिए लोकेशन का पता आसानी से लगाया जा सकेगा. सेना इस डिवाइस को आने वाले 1 से 2 साल में उपयोग में ले सकेगी. इसमें स्पीचलेस कम्युनिकेशन का भी उपयोग किया जा सकेगा.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया सम्मान

डिफेंस ऑफ मिनिस्ट्री के आर्गेनाइजेशन ने iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सलेंस) के ओपन चैलेंज में भोपाल के युवाओं की स्टार्टअप कंपनी ब्रूटेक सिस्टम ने इस आइडिया को भेजा था, जिस पर इस टीम के सदस्यों को हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया कार्यक्रम में डेढ़ करोड़ का फंड दिया था. उनके साथ CDS जनरल विपिन रावत भी मौजूद थे.

स्मार्टसिटी भोपाल मे कर रहे डिवाइस पर रिसर्च

सभी युवा भारत सरकार के स्मार्ट सिटी के तहत आने वाले वी-नेस्ट स्टार्टअप योजना के तहत स्मार्ट सिटी भोपाल के क्षेत्र मे इस योजना पर काम कर रहे हैं है. जहॉ स्मार्ट सिटी ने ईको-सिस्टम उपलब्ध कराया है. इन सभी को महू क्षेत्र के सेना के MST (Mountain Standard Time) से इस आईडिया की जानकारी मिली थी, जिसके बाद इन्होंने आईडेक्स पर अपने आईडिया को अप्लाई किया था.

Last Updated : Feb 10, 2021, 9:02 PM IST

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