भोपाल।आधुनिक जमाने में अब भारतीय सेना भी अपने आप को अपडेट करती जा रही है. लेकिन जब भारतीय सेना दुर्गम क्षेत्रों, पहाड़ों और रेतीले मैदानों में देश की सुरक्षा के लिए ऑपरेशन चलाती है, तो वहां पर इंटरनेट की सुविधाएं नहीं होती. इंटरनेट के अभाव में सेना को डाटा शेयर करने और डाटा लिक होने जैसी तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अब सेना को ये परेशानी नहीं आएगी. क्योंकि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कुछ युवक ऐसा डिवाइस तैयार कर रहे हैं, जो आने वाले समय में भारतीय सेना के डाटा ट्रांसफर में काफी मददगार साबित होगा. इस डिवाइस का नाम 'नेक्स्ट जनरेशन डाटा कम्युनिकेशन रेडियो' रखा गया है.
आसानी से शेयर होगा डेटा
भारतीय सेना रेडियो सेट के जरिए तो आसानी से बातचीत कर पाती है, लेकिन डाटा के रूप में फोटो, लोकेशन समेत कई जानकारी बेस कैंप्स तक नहीं भेज पाती है. इसके लिए विशेष रूप से सेना को हैवी सिस्टम का उपयोग करना पड़ता है. ये सिस्टम युद्ध के समय सुरक्षा की दृष्टि से उपयोग नहीं हो सकता है. हैवी सिस्टम में पूरी यूनिट सेट करनी होती है. इस समस्या के समाधान के लिए भोपाल के युवाओं ने 'नेक्स्ट जनरेशन रेडियो सिस्टम' का निर्माण किया है, जिससे आसानी से डाटा शेयर होगा.
एक छोटे से बॉक्स जैसा है डिवाइस
'नेक्स्ट जनरेशन डाटा कम्युनिकेशन रेडियो' एक छोटे से बॉक्स के रूप में आसानी से बैग में रखा जाने वाला डिवाइस है. इसका निर्माण नई स्टार्टअप कंपनी 'ब्रूटेक सिस्टम' कर रही है. कंपनी के सदस्य सचिन राय ने बताया कि स्टार्टअप कंपनी जो डिवाइस बना रही है, वो बॉक्स की तरह दिखने वाला है. इस डिवाइस को सेना के जवान पीठ पर रखकर ड्यूटी कर सकते हैं.
उन्होंने बताया कि दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण इसे radio-frequency से संचालित किया जाता है. पहले जो डिवाइस थे, उसमें सिर्फ आवाज का ही आदान-प्रदान हो पाता था, लेकिन अब डाटा ट्रांसफर भी संभव है. इसके लिए एक विशेष मोबाइल की तरह दिखने वाला डिवाइस भी तैयार किया जा रहा है, जिससे लोकेशन सहित फोटो और सिग्नल(संकेत) भी भेजे जा सकेंगे.