भोपाल।विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥श्री हरि विष्णु का ये मंत्र पाप से मुक्ति दिलाने वाला है. इसी तरह पाप मुक्त होने का अवसर प्रदान करती है योगिनी एकादशी. जो आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी पर आती है. इस दिन व्रत करने की प्रथा है. ये एक ऐसा व्रत है जो इस लोक में भोग और परलोक में मुक्ति देने वाला है. भगवान कृष्ण ने स्वयं कहा है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने पर 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है.
इस साल यह व्रत 5 जुलाई, सोमवार को है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कहा जाता है कि एकादशी व्रत के प्रभाव से व्रती सभी सुख-सुविधाओं को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है.
शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
योगिनी एकादशी 05 जुलाई को रात 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. इसके बाद द्वादशी लग जाएगी. एकादशी व्रत पारण 06 जुलाई 2021, दिन मंगलवार को होगा.
योगिनी एकादशी पूजा विधि (Pujan Vidhi)
- एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें.
- उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें.
- वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं.
- अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें.
- इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें.
- फिर धूप-दीप से विष्णु की आरती उतारें.
- शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें.
- रात्रि के समय सोए नहीं बल्कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें.
- अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें.
- इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें.