हैदराबाद। हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस (world toilet day 2021) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना है. हर साल एक थीम के जरिए विश्व शौचालय दिवस (world toilet day theme 2021) मनाया जाता है. इस साल इसका थीम शौचालय का महत्व (valuing toilets) है. विश्व शौचालय दिवस मनाने के बावजूद सरकारी महखाने में भी शौचालयों की कमी है. इसमें महिला शौचालयों (women toilets) की किल्लत अधिक है. एमपी में 60 फीसदी से ज्यादा पुलिस थानों में महिला टायलेट्स की व्यवस्था नहीं है. टायलेट की सुविधा न मिलने के कारण महिला पुलिसकर्मी कम पानी पीती हैं और शरीर में पानी की कमी के कारण कई बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.
यूएन हर साल चुनता है विषय
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र (united nation) हर साल विश्व शौचालय दिवस पर एक विषय चुनता है, ताकि उचित स्वच्छता सुविधाओं की आवश्यकता के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाई जा सके. पिछले कुछ वर्षों के विषयों में गंदे पानी, शौचालय और नौकरियां, शौचालय और पोषण, समानता और गरिमा शामिल हैं.
क्या है विश्व शौचालय दिवस ?
विश्व शौचालय दिवस 19 नवंबर को विश्व स्तर पर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. विश्व शौचालय दिवस उन सभी लोगों के जागरूकता को बढ़ावा देने का दिन है, जिनके पहुंच अभी भी शौचालय तक नहीं है. तीन में से एक लोग की अभी भी नियमित टॉयलेट तक पहुंच नहीं है. कुल मिलाकर लगभग 2.5 बिलियन लोगों के पास टॉयलेट तक नियमित पहुंच नहीं है. उचित स्वच्छता को एक बुनियादी अधिकार घोषित किया गया है. इसके न होने से लोगों में संक्रामक रोग का प्रसार बढ़ रहा है, जैसे हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस. अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दस्त से बच्चों की सबसे ज्यादा मौते होती हैं.
विश्व शौचालय दिवस का इतिहास(world toilet day 2021)
सिंगापुर के व्यक्ति जैक सिम ने विश्व शौचालय संगठन स्थापित किया. जैक ने 2001 के बाद से स्वच्छता मुद्दों उठाकर वैश्विक मीडिया केंद्र के मंच पर लाया. उन्होंने विश्व शौचालय संगठन को वैश्विक नेटवर्क के रूप में स्थापित किया और स्वच्छता संगठनों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सरकार को इन मुद्दों के समाधानों पर चर्चा के लिए मंच बनाकर आमंत्रित किया.2001 में यूएन-वाटर संस्था ने टॉयलेट-डे की शुरुआत की. तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा कि सभी को खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना होगा.2010 में आधिकारिक तौर पर पानी और स्वच्छता को एक मानवीय अधिकार घोषित किया गया. 2013 में विश्व शौचालय संगठन को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया. हालांकि, बाद में इसका नाम बदलकर वर्ल्ड टॉयलेट-डे कर दिया गया.