भोपाल।करीब 70 साल पहले युद्ध, प्रताड़ना, संघर्ष, हिंसा और बंटवारे के कारण अपना देश छोड़कर भारत आया रायचंदानी परिवार आज भी जब अपने पुराने दिन याद करता है, तो सहम जाता है. लेकिन 70 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी ये परिवार किराए के मकान में रहने को मजबूर है. यहां तक की जिस दुकान को चलाकर वे जीवन-यापन कर रहे हैं, वे भी किराए की है.
हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान से हैदराबाद के सिंध प्रांत होते हुए ये परिवार पहुंचा भोपाल. जहां कई दिनों तक रिफ्यूजी कैंप में रहने के बाद अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए मेहनत मजदूरी करने लगे. ऐसा नहीं है कि किशनलाल का उनके देश में कुछ कारोबार नहीं था. उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तान प्रांत में अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे. जहां पर उनकी जमीन थी. इस जमीन पर वे खेती करते थे, जिससे आराम से उनका जीवनयापन हो रहा था लेकिन बंटवारे के बाद वे एक-एक रोटी के लिए तरस रहे हैं.
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किशनलाल ने बताया कि शुरूआती दौर में भोपाल रेलवे स्टेशन के पास उन्हें कैंप में शिफ्ट किया गया. बाद में स्टेशन के पास आर्मी एरिया के नजदीक कैंपों में रखा गया, और आज करीब 70 साल की उम्र के बाद भी उनके पास खुद का घर नहीं है. दुकान किराए की है, घर किराए का है और अब तो उन्हें लगता है कि यह जिंदगी भी किराए की ही है.