World Lung Cancer Day: हुक्का पीने से युवतियां कम उम्र में हो रही लंग कैंसर का शिकार, आपके आस-पास भी मंडरा रहा खतरा, जानें लक्षण और उपचार
हुक्का पीने के कारण युवतियां कम उम्र में ही लंग कैंसर का शिकार हो रही हैं। जबकि देश में 40% कैंसर के मामले ऐसे आ रहे हैं जिसमें स्मोकिंग की जगह एयर पोलूशन के कारण लोगों को लंच कैंसर हुआ है। यह कहना है सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा का
विश्व लंग कैंसर दिवस 2023
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Published : Aug 1, 2023, 7:34 AM IST
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Updated : Aug 1, 2023, 1:31 PM IST
सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा
भोपाल।कैंसर नाम सुनते ही हर किसी के मन में डर की भावना आ जाती है. उसमें भी आज के समय में सबसे ज्यादा जो नॉर्मल कैंसर है. वह होता है फेफड़ों यानी लंग्स कैंसर. जिसमें अधिकांश लोग इसकी गिरफ्त में आज के समय में आते जा रहे हैं लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में भी लंग यानी फेफड़े का कैंसर लगातार बढ़ता जा रहा है. उसमें भी टीनएजर आज की लड़कियों में इसके लक्षण और ज्यादा होते जा रहे हैं. जिसका एक कारण सिगरेट बीड़ी के साथ हुक्का आदि पीना है.
लंग्स कैंसर होने का कारण: सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा का कहना है आज का युवा धड़ल्ले से पब और हुक्का बारों में हुक्के से धुआं निकलता हुआ नजर आता है लेकिन यह हुक्का पीने में तो उन्हें अच्छा लगता है पर यह फेफड़ों का कैंसर का मुख्य कारण बनता जा रहा है. सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पराग शर्मा कहते हैं कि देश में 40% से अधिक लोग आज के समय में फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं. जिसमें सबसे ज्यादा फेफड़ों के कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. इसमें अधिकांश वो युवतियां इसका शिकार आज के समय में ज्यादा हो रही हैं जो हुक्के का सेवन करती हैं जबकि अधिकतर लोग वह भी हैं जो ना तो बीढ़ी पीते हैं और ना सिगरेट. वह एयर पॉल्यूशन के कारण फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं.
पराग बताते हैं कि जिस तरह से वातावरण में लगातार धुंआ होता जा रहा है और वायु प्रदूषित हो रही है. इस वजह से फेफड़े के कैंसर के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं. इसके लिए लोगों को यही समझाई दी जाती है कि जब भी वह गाड़ी चलाएं या बाहर जाएं. तो मुंह पर रुमाल या कपड़ा बांधकर निकले. जिससे इस रोग से वह बच सकें.
कोविड भी एक कारण:पराग शर्मा कहते हैं कि जिस तरह से पिछले सालों में कोविड ने तहलका मचाया और हर व्यक्ति लगभग इसकी गिरफ्त में आ गया. ऐसे में इसने लोगों के फेफड़ों पर असर डाला है. कोविड के कारण फेफडे जख्मी हुए हैं. इस वजह से यह भी कहीं ना कहीं कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या का कारण बने हैं. कोविड मे फेफड़ों में पानी भरना और फेफड़ों का जख्मी होना लगातार सामने आया. जिस कारण बाद में ऐसे मरीज भी सामने आए, जिन्हें कोविड के बाद फेफड़ों के जख्मी होने के चलते अब उनमें कैंसर की शिकायत सामने आ रही है.
फेफड़ों के कैंसर से बचने के उपाय:फेफड़ों का कैंसर वैसे तो मुख्य रूप से दो तरह से ही होता है. एक धूम्रपान से और दूसरा वायु प्रदूषण से या पारिवारिक व्यक्ति का इतिहास होने से इसके बचाव भी बेहद जरूरी है. अगर इनका ध्यान अपनाया जाए तो निश्चित है फेफड़ों के कैंसर से बचा जा सकता है.
फेफड़ों के कैंसर में मुख्य रूप से बचाव के लिए धूम्रपान न करने की सलाह दी जाती है. सिगरेट, बीड़ी, हुक्का बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए.
कोई व्यक्ति आसपास बीड़ी सिगरेट पिए तो उससे दूर रहना चाहिए और कोशिश करना चाहिए कि तुरंत ही नाक पर या मुंह पर रुमाल या कपड़ा रख लिया जाए.
रेडॉन एक्सपोजर से भी बचाव बेहद जरूरी है. यदि जरूरत हो तो आप अपने घर पर टेस्ट और इलाज भी करवा सकते हैं और रेडॉन के प्रति अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.
कैंसर एजेंट से भी बचाव बेहद जरूरी है अधिकतर देखा गया है कि कार्यस्थल या अन्य जगहों पर ज्ञात कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों के संपर्क में लोग आ जाते हैं जैसे जिन्हें कैंसर हो या जहां इस से रिलेटेड सामान आदि उसके कपड़े रखे हों ऐसे में इससे भी दूर रहना चाहिए.
एयर पॉल्यूशन से बचना चाहिए. अधिकतर देखा गया है कि सड़क में जाते समय या फैक्ट्री आदि से निकलने वाले धुएं के कारण लोग इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं. ऐसे में उन्हें मास्क लगाकर रहना चाहिए. यह रुमाल कपड़ा ऊपर बांधकर इससे दूरी बनाना चाहिए.
स्वस्थ आहार खाना बेहद जरूरी होता है. जिससे फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है. ऐसे में ज्यादातर फल और सब्जियों का सेवन लोगों को करना चाहिए.
नियमित व्यायाम भी बेहद जरूरी है जो आपको फेफड़ों के कैंसर से दूर रखता है. अगर आप नियमित व्यायाम करते हैं तो निश्चित ही आप फेफड़ों के कैंसर के जोखिम से दूर रह सकते हैं.