भोपाल। भागदौड़ भरी जीवनशैली और अनियमित खानपान के चलते कई बीमारियां हम सभी को घेर लेती हैं. जिनमें से एक है हाइपरटेंशन, यानी कि हाई ब्लड प्रेशर. वैसे तो हाई ब्लड प्रेशर कि ये बीमारी अधिकतर व्यस्कों में ही पाई जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह बीमारी बच्चों में भी पाई जाने लगी है. जिसका एक कारण तनाव के साथ ही घर में बैठकर मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करना भी है. ऐसे में छोटे बच्चे भी हाइपरटेंशन का शिकार होते जा रहे हैं. भोपाल के जेपी अस्पताल में बच्चों की काउंसलिंग करने वाली काउंसलर दिव्या दुबे बताती हैं कि ''उनके पास हर रोज बच्चों के माता-पिता आते हैं और सभी की यही शिकायत होती है कि उनका बच्चा हर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा हो जाता है या जोर-जोर से बात कर चिड़चिड़ाने लगता है.''
बच्चों पर कंपटीशन का मानसिक तनाव: दरअसल आजकल के कंपटीशन के युग में लगातार माता-पिता बच्चों को यह प्रेशर देते रहते हैं कि, दूसरे बच्चे उनसे बेहतर हैं और उन्हें भी बेहतर आना है. इसके लिए बच्चों पर मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है. जिस वजह से बच्चे अपनी बात किसी से शेयर नहीं कर पाते और हाइपरटेंशन का शिकार हो जाते हैं. दिव्या दुबे बताती हैं कि ''उनके पास सबसे ज्यादा हाइपरटेंशन के शिकार बच्चों के मामले आते हैं और इसकी संख्या पिछले एक-दो साल में ज्यादा बढ़ गई है.''
हर महीने कराएं बच्चों का चेकअप:फिजीशियन और काउंसलर दिव्या दुबे बताती है कि ''बच्चों में हाइपरटेंशन के लक्षण दिखते ही सबसे पहले उनके ब्लड प्रेशर को चेक करवाना चाहिए. भले हम बच्चों के ब्लड प्रेशर को रोज चेक ना करें, लेकिन कोशिश करें कि महीने में एक बार जरूर इसका चेकअप होना चाहिए. जिससे कि यह पता करने में आसानी होगी कि बच्चा सामान्य रूप से मनमुटाव महसूस कर रहा है या हाइपरटेंशन का शिकार है.''
बच्चों में हाइपरटेंशन के लक्षण:हाइपरटेंशन को आप कैसे पहचाने कि बच्चों में यह बढ़ रहा है, इसके लिए ध्यान दें कि अगर बच्चों को इन बीमारियों के लक्षण नजर आते हैं तो उसे तुरंत ही डॉक्टर के पास जाकर चेक करवाना चाहिए. जैसे सिर दर्द होना, चक्कर आना, हार्टबीट एकदम से तेज हो जाना, उल्टी आना, जी मिचलाना, आंखों के आगे धुंधला सा छा जाना, नाक से खून आना. ऐसे में जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो आगे चलकर बच्चे इन लक्षणों का भी शिकार हो जाते हैं. जिसमें तेजी से सांस लेन, सांस में तकलीफ आना, मोटापे का शिकार हो जाना, रात में अचानक से नींद खुल जाना, मुंह से सांस लेना, खर्राटे आना शामिल है.
बच्चे किडनी और हार्ट की समस्या से परेशान: डॉक्टर सचिन गुप्ता बताते हैं कि 8 से 15 साल की उम्र के बच्चों में लगातार हाइपरटेंशन के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इसमें सबसे अधिक जो कारण सामने आता है वह है पढ़ाई का. जिस वजह से बच्चे लगातार हाइपरटेंशन का शिकार होते जा रहे हैं. यही वह समय भी होता है जब बच्चों में शारीरिक रूप से हारमोंस का भी बदलाव होता है. ऐसे में ब्लड का प्रेशर भी बढ़ता है. जिस कारण भी बच्चे लगातार हाइपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं. इसके कारण सबसे ज्यादा असर बच्चों के बड़े होने पर पड़ता है और उसके बाद ऐसे बच्चे किडनी और हार्ट की समस्या से परेशान हो जाते हैं.
बच्चों में बढ़ रहे हाइपरटेंशन को कैसे रोकें
- बच्चों के वजन पर ध्यान दें, उनका वेट ज्यादा ना बड़े. इसके लिए उन्हें योग, एक्सरसाइज या खेलकूद की गतिविधियों से जोड़ें. कम से कम एक से डेढ़ घंटा बच्चा खेलने के लिए घर के बाहर समय व्यतीत करे.
- हर बात को लेकर बच्चों पर दबाव ना डालें, जैसे दूसरे बच्चे ऐसा करते हैं, वह इस चीज में आगे हैं. इस तरह की गतिविधियों का दबाव बच्चों पर ना दे.
- कंप्यूटर और मोबाइल पर ही बच्चे दिन भर ना बैठे रहें, यह भी ध्यान रखना जरूरी है. टीवी भी नियमित समय तक ही देखने की अनुमति बच्चों को दी जाए. जिससे कि उनके शरीर में मोटापा ना बड़े.
- बच्चों को फास्ट फूड और डब्बा पैक खाने से दूर रखें. साथ ही सोडा, चाय आदि केलरी वाले मीठे पेय से भी बच्चों को दूर रखना चाहिए, लेकिन जितना ज्यादा हो सादे पानी का सेवन करना चाहिए.
- यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा किन्हीं गलत गतिविधियों में ना हो और धूम्रपान व नशे की चीजों का उपयोग ना करता हो. इससे भी हाइपरटेंशन बढ़ता है.
- बच्चों को ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जी, फल आदि का सेवन कराएं और उनके नियमित खानपान में इसे शामिल करें.