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World Bicycle Day: 200 सालों में इतनी बदली साइकिल, आज है फिटनेस का अहम हिस्सा - विश्व साइकिल दिवस का लोगो

साइकिल की विशेषता और अहमियत को जानने के लिए हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2018 में ही हुई है. संयुक्त राष्ट्र ने 3 जून 2018 को पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाया था.

Cycle has changed so much in 200 years, today it is an important part of fitness
200 सालों में इतनी बदली साइकिल, आज है फिटनेस का अहम हिस्सा

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Published : Jun 3, 2021, 6:03 AM IST

Updated : Jun 3, 2021, 8:53 PM IST

भोपाल। आज विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) है. साइकिल की विशेषता और अहमियत को जानने के लिए हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 2018 में ही हुई है. संयुक्त राष्ट्र ने 3 जून 2018 को पहली बार विश्व साइकिल दिवस मनाया था. इस साल चौथा विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है, जिसकी थीम "परिवहन के एक सरल, टिकाऊ, किफायती और विश्वसनीय साधन के रूप में साइकिल की विशिष्टता, बहुमुखी प्रतिभा और जीवन" रखी गई है.

साइकिल का इतिहास

साइकिल का इतिहास 200 साल पुराना है. यूरोपीय देशों में साइकिल का इस्तेमाल 18वीं शताब्दी के शुरुआत में होने लगा था. इसका निर्माण सन 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने किया था. उस समय साइकिल को हॉबी हॉर्स या काठ का घोड़ा कहा जाता था. लेकिन ये साइकिल आज की साइकिल की तरह नहीं थी. इसमें बड़े पहिए होते थे. इसके बाद पैर से घुमाने वाले पैडल युक्त पहिए का अविष्कार सन 1865 में पेरिस के लालेमेंट (Lallement) ने किया था. इसके बाद आने वाले सालों में साइकिल में अनेकों बदलाव हुए. और इन्हीं बदलावों के बाद छोटा, सस्ता और सुंदर डिजाइन तैयार हुए जिसे हम साइकिल कहते हैं.

भारत में साइकिल का इतिहास

भारत में साइकिल को आर्थिक तरक्की का प्रतीक माना जाता है. देश की आजादी के बाद से अगले कई सालों तक साइकिल देश की यातायात व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रही. शुरुआत में ये अमीरों की सवारी थी लेकिन धीरे-धीरे से गरीबों की पहुंच में आ गई. भारत में 1960 से 1990 तक ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी. मिल में काम करने वाले मजदूर से लेकर ऑफिस जाने वाले युवा साइकिल का इस्तेमाल करते थे. शहरों से गांव में पहुंची साइकिल अपने साथ आर्थिक तरक्की भी लेकर गई थी. भारत में साइकिल किसानों के लिए काफी मददगार साबित हुए. गांवों से शहर सामान की सप्लाई में साइकिल ने किसानों का काफी साथ दिया. बाइक के आम लोगों की पहुंच में आने से पहले तक साइकिल भारत की दिनचर्चा का अहम हिस्सा थी लेकिन धीरे-धीरे बाइक की रफ्तार ने साइकिल को पीछे छोड़ दिया.

भोपाल की महिलाओं का ऑफ रोड ग्रुप

भोपाल की महिलाओं का ऑफ रोड ग्रुप

लेकिन इन दिनों साइकिल फिटनेस का अहम हिस्सा बन गई है. साइकिलिंग कई लोगों का पैशन है तो कई लोग सेहत को तंदुरुस्त रखने के लिए साइकिल चलाते हैं. भोपाल में महिलाओं का ग्रुप ऐसा है जिनकी सुबह की शुरुआत साइकिलिंग की साथ होती है. इन महिलाओं की उम्र जानकर आप चौंक जाएंगे. ये सभी महिलाएं 40 साल से ज्यादा उम्र की है, लेकिन इनकी फिटनेस का राज है साइकिलिंग. महिलाओं के इस ग्रुप का नाम है ऑफ रोड ग्रुप. इस ग्रुप की सभी महिलाएं हर दिन सुबह होते ही साइकिलिंग पर निकल जाती है. इनमें से कुछ हाउस वाइफ है, तो कुछ वर्किंग वूमेन लेकिन साइकिल चलाना इन सबका शौक है.

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साइकिलिंग से खत्म की शुगर की बीमारी

भोपाल में एक शख्स ऐसे भी हैं जिन्होंने साइकिल चलाकर अपनी शुगर की बीमारी को ही खत्म कर दिया. विकास नायडू पेशे से रियल एस्टेट बिजनेस से जुड़े हैं. एक समय ऐसा था जब इनकी शुगर इतनी थी कि डॉक्टर ने साफ कर दिया था कि ये जिंदगीभर दवाई खाकर ही जिंदा रह सकते हैं. विकास बताते हैं की शुगर इतनी ज्यादा हो जाती थी कि कई बार तो दवाइयों के नशे में बैठे-बैठे ही सो जाते थे. इसके अलावा बॉडी में कोलेस्ट्रॉल भी इतना बढ़ जाता कि चेहरे पर मुहासे ही मुहासे नजर आते थे. इसके बाद विकास ने जिम भी ज्वॉइन की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आखिर में उन्होंने साइकिलिंग की शुरुआत की. साइकिलिंग का चमत्कारी प्रभाव उन्हें अपने शरीर पर नजर आने लगा और धीरे-धीरे विकास ने न सिर्फ अपने शरीर के शुगर लेवल को कंट्रोल कर लिया बल्कि शुगर की बीमारी को भी खत्म कर लिया.

साइकिल चलाने के फायदे

  • रोज आधा घंटा साइकिल चलाने से खत्म होती है पेट की चर्बी
  • रोज आधा घंटा साइकिल चलाने से इम्युन सिस्टम स्ट्रांग रहता है
  • लगातार साइकिल चलाने से घुटने और जोड़ों के दर्द की समस्या नहीं होती
  • रोज आधा घंटा साइकिल चलाने से ब्रेन पावर भी बढ़ती है
  • साइकिल चलाने से ईधन की बचत और वातावरण स्वच्छ रहता है
Last Updated : Jun 3, 2021, 8:53 PM IST

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