भोपाल। लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से मध्यप्रदेश लौटे 10 फीसदी श्रमिकों ने दूसरों की नौकरी और मजदूरी से तौबा कर लिया है. ऐसे 65 हजार से ज्यादा श्रमिकों ने मजदूरी के स्थान पर स्वरोजगार की इच्छा जताई है. वहीं 82 हजार से ज्यादा श्रमिकों ने स्वरोजगार के लिए शासन से लोन दिलाए जाने की मांग की है. इनमें से करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों ने 2 लाख रुपए से ज्यादा लोन की मांग की है. उधर श्रम विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि, अपने पैरों पर खड़े होने के इच्छुक श्रमिकों की सरकार भरपूर मदद करेगी.
स्वरोजगार के लिए मांगा लोन कोरोना महामारी के बाद हुए लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश में 7 लाख 30 हजार 311 श्रमिक दूसरे राज्यों से लौटे हैं. इनमें पुरुषों की संख्या करीब 5 लाख 96 हजार 975 और महिलाओं की संख्या करीब एक लाख 33 हजार 336 है. ऐसे प्रवासी श्रमिकों की पहचान उनकी स्किल और उन्हें मजदूरी उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर सर्वे कराकर उनकी मैपिंग कराई गई है. इन सभी श्रमिकों को रोजगार सेतू पोर्टल से जोड़ा गया, ताकि पोर्टल की मदद से नियोक्ता अपनी जरूरत के हिसाब से इन्हें रोजगार दे सके.
हालांकि दूसरे राज्यों में अलग-अलग सेक्टर से जुड़े इन श्रमिकों में से 65 हजार 828 श्रमिकों ने अब अपने पैरों पर खड़े होने की इच्छा जताई है. इनमें सबसे ज्यादा भिंड के 7989, मुरैना के 5858, झाबुआ की 2128, पन्ना के 3360, दतिया के 5209 और टीकमगढ़ के 1346 श्रमिक शामिल हैं.
82 हजार श्रमिकों ने मांगा लोन
मध्यप्रदेश लौटे श्रमिकों में से 82 हजार 338 ने अब अपने क्षेत्र में ही अपना काम धंधा शुरू करने के लिए शासन से लोन की मांग की है. इनमें 10974 श्रमिकों ने 50 हजार रुपए तक का लोन मांगा है. वहीं 6 हजार 333 श्रमिकों ने एक से दो लाख तक का लोन और 5 हजार 157 श्रमिकों ने दो लाख से ज्यादा का लोन दिए जाने की मांग की है. मुरैना के प्रवासी श्रमिकों 10235, रीवा के 5944, सिवनी के 3497, बैतूल के 3359 श्रमिकों ने लोन की मांग की है.
प्रवासी श्रमिकों में 11 हजार से ज्यादा ग्रेजुएट
लॉकडाउन के दौरान मध्यप्रदेश लौटे श्रमिकों में 11 हजार से ज्यादा ग्रेजुएट या उससे ज्यादा पढ़े लिखे हैं. इनमें 9208 ग्रेजुएट, 1174 आईटीआई डिप्लोमाधारी, 967 स्नातकोत्तर और 643 स्नातक भी हैं. श्रम विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक अपने पैरों पर खड़े होने के इच्छुक ऐसे तमाम श्रमिकों को बेहतर मार्गदर्शन और लोन की व्यवस्था कराई जाएगी, ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें और इन के माध्यम से दूसरों को भी रोजगार मिल सके.
गुजरात में एक कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करने वाले राजपाल दांगी भी लॉकडाउन में भोपाल से सटे बैरसिया अपने घर लौट कर आ चुके हैं. वे कहते हैं कि, अब यहीं रहकर कुछ अपना काम करेंगे. उन्होंने इसके लिए शासन से 5 लाख रुपए का लोन मांगा है, ताकि अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकें. उधर श्रम विभाग में सहायक आयुक्त पी जासेमिन अली सितारा के मुताबिक सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों ने स्वरोजगार के लिए लोन की बात कही है. ऐसे श्रमिकों को लोन की राशि के हिसाब से दूसरे विभागों से मदद कराए जाने की योजना तैयार की जा रही है.