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लॉकडाउन के चलते नहीं थम रहा मजदूरों का पलायन, पैदल लौट रहे घर - corona virus in rajasthan

गरीबी, लाचारी और मजबूरी क्या होती है इसे समझने के लिए ये तस्वीरें काफी है. सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने का दर्द क्या होता है. भूख और तपती गर्मी की जलत क्या होती है शायद इन मजदूरों से बेहतर कोई नहीं जानता होगा. लॉकडाउन 2.0 में भी रोजी-रोटी की तलाश में शहर पहुंचे मजदूरों का पलायन नहीं थम रहा.

Worker migration
मजदूरों का पलायन

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Published : Apr 18, 2020, 10:48 PM IST

भोपाल/जोधपुर :कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन की मियाद 14 अप्रैल को खत्म होनी थी, इसके चलते पश्चिमी राजस्थान में काम कर रहे मध्य प्रदेश के सैकड़ों की संख्या में मजदूर आश्रय स्थल पर रुके रहे. लॉकडाउन आगे बढ़ने की घोषणा के साथ ही इनका धैर्य भी जवाब दे गया. सबको अपने घर जाने की फिक्र होने लगी और करीब 1000 किमी की यात्रा पैदल करने का निश्चय कर चल पड़े. करीब 300 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद मजदूर जोधपुर जिले के ओसियां क्षेत्र में अलग-अलग जत्थों में पहुंच रहे हैं. ये मजदूर जैसलमेर से घर लौट रहे हैं.

मजदूरों का पलायन

इनकी मंजिल भोपाल है और भोपाल यहां से करीब 762 किलोमीटर दूर. यह मजदूर कच्चे मार्गों से होते हुए आगे बढ़ रहे हैं. सड़क पर कम ही नजर आते हैं क्योंकि डर है कहीं उन्हें पुलिस रोक ना ले. खेतों और जंगलों से होते हुए ये मजदूर आगे बढ़ रहे हैं. जिले के ओसियां इलाके में इन मजदूरों का एक समूह जैसलमेर रोड पर सड़क किनारे पेड़ के नीचे आराम करता नजर आया.

मजदूरों का कहना है कि उन्हें भोपाल जाना है और इसके लिए अभी 10 दिन और पैदल चलेंगे. इस समूह में कुल 25 लोग हैं, जिनमें बुजुर्ग बच्चे भी शामिल हैं. कुछ खाने की सामग्री साथ में लेकर चल रहे हैं. जहां व्यवस्था बनती है वहीं ठहरते हैं और अपना पेट भरते हैं. 70 साल की उम्र पार कर चुके राम सिंह कहते हैं कि, चलना तो पड़ेगा भले चाहे कितनी कठिनाई हो अब हम घर जा कर ही रुकेंगे. महिलाओं का कहना था कि हमारे बच्चे और परिवार के लोग मध्य प्रदेश में ही हैं ऐसे में हमें घर जाना जरूरी है. मजदूरों का कहना है कि सरकार हमारे घर पहुंचने का इंतजाम करना चाहिए था.

अलग-अलग जत्थों में चल रहे मजदूर

इन मजदूरों का दूसरा जत्था करीब 10 किलोमीटर दूर कच्चे-रास्ते से चलता नजर आया. जिनकी संख्या करीब 120 से ज्यादा थी. मजदूरों ने कहा कि, प्रशासन के कहने पर 14 अप्रैल तक हम रुके रहे लेकिन इसके बाद भी हमारे जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई, जबकि स्वास्थ्य जांच में हम सब स्वस्थ हैं.

मजदूरों में सरकार के प्रति रोष:

मजदूरों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि जीरे की कटाई शुरू होते ही 3 दिन बाद ही लॉकडाउन शुरू हो गया था. ऐसे में कमाने के लिए यहां आए थे. लेकिन अब नुकसान उठाकर ही वापस जाना पड़ रहा है. कुछ महिलाओं ने केंद्र सरकार पर भी अपनी भड़ास निकाली और कहा कि मोदी जी को 4 दिन पहले मजदूरों को भेजने का इंतजाम करना चाहिए था, सरकार ने हमारे साथ धोखा किया है.

इन मजदूरों के परेशानी और बेबसी को लेकर जब हमने ओसियां उपखंड अधिकारी रतन लाल रेगर तो बात कि उन्होंने कहा कि, हम उन मजदूरों को रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. इनके रहने के लिए भी तीन जगह चिंन्हित किए गए हैं लेकिन रात को रुक जाते हैं और सुबह जल्दी बिना बताए निकल जाते हैं.

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