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कोरोना काल में बच्चों-महिलाओं को नहीं मिल पाया पोषण आहार, महिला एवं बाल विकास विभाग ने बनाई रणनीति - provide nutritional food to women and children

भोपाल में आंगबाड़ियों द्वारा बच्चों-महिलाओं को मिलने वाले पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है. नुकसान की भरपाई करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.

Department formulated strategy for nutritional diet
पोषण आहार के लिए विभाग ने बनाई रणनीति

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Published : Sep 30, 2020, 10:36 PM IST

भोपाल। कुपोषित बच्चों को पर्याप्त पोषण आहार देने के लिए आंगनबाड़ियों में पोषण आहार की व्यवस्था की गई है, लेकिन कोरोना वायरस की के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में आंगनबाड़ियां भी बंद थी. वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता डोर टू डोर भ्रमण कर कोविड-19 का सर्वे करने का काम कर रही थी. जिससे बच्चों को दिया जाने वाला पोषण आहार भी उन्हें नहीं मिल पाया. इसका खामियाजा सबसे ज्यादा बच्चे उठाना पड़ा है.

पोषण आहार के लिए विभाग ने बनाई रणनीति

कोरोना काल में महिला एवं बाल विकास की पोषण आहार देने की योजना इस दौरान विफल हुई है, पर नुकसान की भरपाई करने के लिए विभाग ने अपनी नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन के महिला एवं बाल विकास विभाग,केंद्र सरकार की पोषण माह योजना के जरिए इन महीनों में हुए नुकसान की भरपाई करने में जुटा हुआ है. विभाग की योजना है कि पिछले महीनों में पोषण आहार योजना को लेकर जो भी नुकसान हुआ है. उसे इस माह पूरा किया जाए. राजधानी भोपाल में पूरे सितंबर महीने में पोषण माह मनाया गया. इस दौरान उन क्षेत्रों पर खासा ध्यान दिया गया जहां पर कुपोषित महिलाओं और बच्चों की संख्या ज्यादा है. जिनमें झुग्गी बस्तियां शामिल हैं.

डोर-टू-डोर सर्वे फिर से किया शुरू

कुपोषण को कम करने के लिए क्या प्रयास किए गए इस बारे में एडीएम माया अवस्थी ने बताया कि कोविड-19 के कारण कुछ समय के लिए डोर-टू-डोर सर्वे को बंद कर दिया गया था, पर हमने से अभी फिर से शुरू कर दिया है. इसके तहत कुपोषित बच्चों और महिलाओं का सर्वे किया जा रहा है और उन्हें पोषण आहार उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्हें दूध पिलाने से लेकर सभी जरूरी आहार दिए जा रहे हैं, और साथ ही उन्हें ट्रैक में लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है. उनका कहना है कि ना केवल राजधानी भोपाल बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में ही यह अभियान चलाया गया.

सीसैम मॉड्यूल तैयार कर किया जा रहा काम

प्रदेश में कुपोषण को लेकर क्या काम किया जा रहा है इस बारे में महिला एवं बाल विकास संचालनालय की संचालक स्वाति मीणा नायक का कहना है कि पोषण माह के तहत हमने अति गंभीर कुपोषित बच्चों (sam child) का दोबारा चिन्हांकन किया. साथ ही ग्रोथ मॉनिटरिंग भी दोबारा से की जा रही है. इसके लिए हमने कम संख्या में बच्चों को आंगनबाड़ी सेंटर में बुलाकर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की है. कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए छोटे बच्चों का वजन उनकी माता के साथ ही किया.

इसके साथ ही हम चिन्हांकित बच्चों के लिए अगले 3 महीने में 1 सीसैम मॉड्यूल तैयार कर लेंगे. यह एक रियल टाइम मॉनिटरिंग एप्लीकेशन है, जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रियल टाइम में एंट्री कर पाएंगी. इस एप्लीकेशन में बच्चों की स्वास्थ्य की जानकारी होगी. 30 सितंबर तक हमारे पास सारी जानकारी उपलब्ध होगी. उसके बाद हमें यह पता चल जाएगा कि इन तीन- चार महीनों में किस क्षेत्र में क्या नुकसान हुआ है. इस आधार पर हम उन क्षेत्रों में ज्यादा ध्यान देंगे जहां सेवा को पहुंचाने में नुकसान हुआ है.

बता दें कि पोषण अभियान के तहत भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवन चक्र अप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण हुए नुकसान को देखते हुए, सितंबर महीने में हर साल मनाए जाने वाले पोषण माह के तहत इस बार अतिरिक्त काम किया गया है. इस माह के तहत ना केवल बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार दिया गया, बल्कि उनमें कुपोषण से बचने के लिए जरूरी जागरूकता लाने का भी काम महिला एवं बाल विकास के द्वारा किया गया है.

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