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किसान पुत्र से शिव'राज' तक, राजनीति के 'मामा' का सियासी सफरनामा

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Published : Nov 3, 2020, 6:11 PM IST

Updated : Nov 10, 2020, 7:37 AM IST

कमलनाथ सरकार के केवल 15 महीने में गिरने के बाद सत्ता में आए शिवराज सिंह चौहान की मुख्यमंत्री की कुर्सी बची रहेगी या फिर चली जाएगी, इसका फैसला 10 नवंबर को हो जाएगा. देखिए ये खास रिपोर्ट...

shivraj singh
सीएम शिवराज

भोपाल।28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की साख दांव पर लगी है. 15 महीने की कमलनाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके 22 विधायक अब भगवा रंग में रंग चुके हैं. यहीं वजह है कि ये उपचुनाव सिंधिया VS कमलनाथ हैं. हालांकि सियासी गाड़ी की ड्राइवर सीट पर शिवराज सिंह बैठे हैं. वहीं आचार संहिता लगने से पहले करोड़ों रुपये की योजनाओं की शुरुआत कर शिवराज ने बड़ा दांव तो चला है लेकिन ये कितना सफल होगा ये उपचुनाव के नतीजे तय करेंगे. अगर उपचुनाव में भाजपा ज्यादा सीटें जीत जाती है तो शिवराज की मुख्यमंत्री की कुर्सी तो सुरक्षित रहेगी साथ ही राजनीतिक कद भी बढ़ जाएगा.

वहीं भाजपा अगर उपचुनाव हारी तो मुख्यमंत्री पद के साथ-साथ शिवराज का राजनीतिक कद घटना तय है क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद लगातार दूसरे चुनाव में वो असफल माने जाएंगे. बीजपी को बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचने के लिए इस उपचुनाव में मात्र नौ सीटों की जरूरत है जो उपचुनाव में दांव पर हैं.

आईये शिवराज सिंह चौहान के जीवन परिचय से जुड़े कुछ पहलुओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं.

शिवराज सिंह का जीवन परिचय

शिवराज सिंह चौहान किराड़ राजपूत परिवार से आते हैं. शिवराज सिंह का जन्‍म 5 मार्च, 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में किसान परिवार में हुआ. 1992 में उनका विवाह साधना सिंह से हुआ था और उनके दो बेटे हैं कार्तिकेय सिंह चौहान और कुणाल सिंह चौहान. शिवराज भोपाल के बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी से एमए में दर्शनशास्त्र से गोल्ड मेडलिस्ट हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े

शिवराज सिंह चौहान छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे हैं. 1975 में मॉडल स्कूल स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष चुने गए थे. 1975-76 में इमरजेंसी के खिलाफ अंडग्राउंड आंदोलन में हिस्सा लिया. 1976-77 में आपातकाल के दौरान वे जेल भी गए.1977 से वे आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. इसके अलावा लंबे समय तक एबीवीपी से भी जुड़े रहे.

शिवराज का राजनीतिक करियर

⦁ शिवराज सिंह पहली बार 1990 में बुधनी सीट से विधायक चुने गए

⦁ 1991 में पहली बार विदिशा सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे

⦁ चार बार लोकसभा के लिए चुने गए

⦁ लोकसभा तथा संसद की कई समितियों में भी रहे

⦁ 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे

⦁ 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था लेकिन वे राघौगढ़ विधानसभा चुनाव क्षेत्र से चुनाव हार गए थे.

⦁ 29 नवंबर 2005 में बाबूलाल गौर के स्थान पर मुख्यमंत्री बने थे.

⦁ दूसरी बार 12 दिसंबर 2008 में मुख्यमंत्री बने

⦁ तीसरी बार 8 दिसंबर 2013 में मुख्यमंत्री की शपथ ली थी.

⦁ चौथी बार 23 मार्च 2020 शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने थे.

राजनीति से अलग इनमें में भी है रूचि

पेशे से एक किसान चौहान की संगीत में ‍गहरी रुचि है और वे धार्मिक साहित्य पढ़ते हैं, मित्रों के साथ वाद-विवाद में भाग लेते हैं. मनोरम स्थलों की सैर करना, गाने सुनना और फिल्में देखना उनके मनोरंजन के पसंदीदा साधन हैं. उनकी खेलों में भी रुचि है और वे कबड्डी, बॉलीवाल और क्रिकेट पसंद करते हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों की बहुत सी खेल संस्थाओं से भी जुड़े हैं.

Last Updated : Nov 10, 2020, 7:37 AM IST

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