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MP उपचुनाव: आधी आबादी लोकतंत्र में निभाती है अहम भूमिका, फिर भी महिला अपराध नहीं बनता चुनावी मुद्दा ?

महिला अपराधों में एमपी अव्वल है. मध्यप्रदेश में चुनाव दर चुनाव महिलाओं मतदान को लेकर रुझान बढ़ रहा है, इसके बाद भी चुनाव में महिला अपराध मुद्दा नहीं बनता. बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों दल ही आधी आबादी को साथ लेकर चलने का दावा तो करती हैं, लेकिन आंकड़े हकीकत बयां कर रहे हैं, मध्यप्रदेश में महिला अपराधों के आंकड़ों पर नजर डालेंगे, तो चौंक जाएंगे. इसके बाद भी राजनीतिक दल इसे गंभीर मुद्दा नहीं मानते हैं, शायद यही वजह है कि, विधानसभा उपचुनाव में भी महिला अपराध के मुद्दे को किसी भी दल की तरफ से उस तरह नहीं उठाया गया, जितना गंभीर ये मुद्दा है.

Womens crime did not become an election issue
महिला अपराध नहीं बनता चुनावी मुद्दा

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Published : Oct 9, 2020, 9:53 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में 29 लाख से ज्यादा महिला वोटर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. भले ही विधानसभा की दहलीज तक चुनकर गिनी चुनी ही महिला पहुंच पाती हों, लेकिन मतदान को लेकर महिलाओं का रुझान चुनाव-दर-चुनाव बढ़ रहा है. इसके बाद भी महिलाओं और बच्चियों से जुड़े अपराध चुनाव में कभी मुख्य मुद्दा नहीं बनते. ये स्थिति तब है, जब मध्यप्रदेश बलात्कार और बच्चियों के गायब होने के मामले में देश में टॉप पर है. बावजूद इस कलंक से पीछा छुड़ाने और आधी आबादी की अस्मिता से जुड़े मुद्दे को चुनावी रैलियों में जोर-शोर से नहीं उठाया जाता.

महिला अपराध नहीं बनता चुनावी मुद्दा ?

महिला अपराधों में एमपी अव्वल

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को देखा जाए तो, 2019 में 5822 महिला अपराध दर्ज किए गए. वहीं 2018 में 6,480, 2017 में 6,526 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह 2016 में 4,882 मामले और 2015 में 4,391 मामले दर्ज किए गए. यही वजह है कि, महिला अपराधों के मामले में मध्यप्रदेश लगातार अव्वल रहा है.

28 सीटों पर महिला मतदाताओं की स्थिति

  • मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में 63 लाख 51 हजार 867 मतदाता चुनावी ताल ठोंकने वाले नेताओं की किस्मत का फेसला करेंगे. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 33 लाख 73 हजार 402 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 29 लाख 78 हजार 267 है.
  • सबसे ज्यादा महिला वोटर ग्वालियर ईस्ट में हैं. यहां 1 लाख 44 हजार 245 महिला वोटर हैं.
  • ग्वालियर में 1 लाख 33 हजार 746, सांवेर में 1 लाख 28 हजार 746, सुवासरा में 1 लाख 27 हजार 64, मुरैना में 1 लाख 14 हजार 617 महिला वोटर हैं.
  • रायसेन के सांची में 1 लाख 12 हजार 392 महिला मतदाता हैं, वहीं आगर मालवा में 1 लाख 5 हजार 335 महिला मतदाता हैं.

महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी

  • 2018 के विधानसभा चुनाव में 2,899 कुल उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिनमें से 250 महिलाओं ने चुनाव मैदान में ताल ठोकी थी और 17 महिला विधायक निर्वाचित हुईं थी, जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में 31 महिला विधायक चुनी गई थीं.
  • 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 28 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से 22 विधायक बनीं. वहीं कांग्रेस ने 21 महिलाओं को टिकट दिया था, जिसमें से 6 महिलाएं विधानसभा पहुंची थीं.

महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज

  • 2018 में प्रदेश में 2 करोड़ 41 लाख 31 हजार 467 महिला मतदाता थीं, जिसमें से 1 करोड़ 78 लाख 60 हजार 401 महिला मतदाताओं ने वोट डाला था. यानी करीब 74.1 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया.
  • 2013 के विधानसभा चुनाव में 70.11 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था. प्रदेश में कुल 72 फीसदी मतदात हुआ था.

किस चुनाव में कितनी महिलाएं बनीं विधायक

  • 2018 में 19 महिला विधायक
  • 2013 में 33 महिला विधायक
  • 2008 में 22 महिला विधायक
  • 2003 में 19 महिला विधायक
  • 1998 में 23 महिला विधायक

क्या कहती हैं राजनीतिक पार्टियां ?

बीजेपी की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा कहती हैं कि, 'महिलाओं को सशक्त और सुरक्षित करने का काम बीजेपी सरकार ने किया है. महिलाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता रही है. नाबालिग के साथ दुराचार करने वालों को फांसी की सजा दिलाने का प्रावधान है. पिछले दिनों भी रेप की एफआईआर में देरी को लेकर चौकी प्रभारी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया, लेकिन कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा, जो महिला अपराध में आरोप रह चुके हैं'.

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता विभा पटेल कहती हैं कि, 'कांग्रेस हो या भारतीय जनता पार्टी, सभी को महिलाओं के अपराधों को लेकर गंभीरता से विचार करना होगा. महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना चाहिए और मध्य प्रदेश में महिला अपराध को लेकर जो माहौल है, उसके लिए बीजेपी सरकार जिम्मेदार है, उन्हें बताना चाहिए कि, आखिर मध्य प्रदेश महिला अपराधों में नंबर वन पहुंचा दिया है'.

पिछले साल गायब हुईं 2,267 बच्चियां, अब भी लापता

मध्यप्रदेश में बच्चियां लगातार गायब हो रही हैं. ये स्थिति प्रदेश के बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे जिलों में भी है. इसके बाद भी इस मुद्दे को लेकर गंभीरता दिखाई नहीं जा रही है. इस मुद्दे की गंभीरता को इससे ही समझा जा सकता है कि, 2019 में गायब हुए बच्चों में 2,267 बच्चियों को अब तक नहीं खोजा जा सका.

आदिवासी अंचलों से गायब हुईं ज्यादा बच्चियां

मध्यप्रदेश के 19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. इन 19 जिलों में बच्चियों के गायब होने के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. पिछले साल इन 19 जिलों में 4,323 बच्चे गायब हुए, इनमें से 967 बच्चियों को अब तक नहीं खोजा जा सका. खासतौर से बुंदेलखंड, आदिवासी क्षेत्र के जिलों के अलावा इंदौर में गायब हुई सैकड़ों बच्चियां लापता हैं.

19 जिलों की यह है स्थिति

जिला गायब हुए बच्चियां अब तक लापता
रायसेन 21,447
अनूपपुर 14,519
मंदसौर 12,525
धार 3,92,120
राजगढ़ 16,236
अशोकनगर 11,313
गुना 17,035
शिवपुरी 18,234
दतिया 809
छतरपुर 25,182
भिंड 13,525
आगर मालवा 283
इंदौर 8,56,204
ग्वालियर 40,564
बुरहानपुर 6,911
खंडवा 17,264
सागर 4,59,116
देवास 22,549
मुरैना 14,011

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