भोपाल। कमलनाथ सरकार को गिराकर अस्तित्व में आई शिवराज सरकार ने अपना पहला मंत्रिमंडल विस्तार कर लिया है. वहीं दूसरी तरफ सत्ता से विपक्ष में जा बैठी कांग्रेस अब तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है. रोजाना नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं और दावे किए जा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
शिवराज मंत्रिमंडल में ग्वालियर- चंबल से किसी को शामिल नहीं किए जाने पर यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि, कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष का पद ग्वालियर चंबल के किसी विधायक को दे सकती है. वहीं राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि, कमलनाथ ही नेता प्रतिपक्ष का पद संभालेंगे और शिवराज सरकार को मुश्किल में डालने का काम करेंगे. फिलहाल कांग्रेस ने इन अटकलों और कयासों पर रोक लगा दी है, लेकिन सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि नेता प्रतिपक्ष कौन होगा.
संसदीय कार्य मंत्री रहे डॉक्टर गोविंद सिंह 6 महीने के भीतर 24 सीटों पर होगा उपचुनाव
6 माह के अंदर 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इन स्थितियों में सभी की निगाह कांग्रेस की तैयारियों पर हैं. मौजूदा परिस्थितियों को देखकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. शिवराज सिंह ने पांच मंत्रियों का मंत्रिमंडल बनाया है. खास बात यह है कि, मंत्रिमंडल में ग्वालियर चंबल के किसी भी नेता को शामिल नहीं किया गया है, जबकि 22 बागियों में 16 बागी ग्वालियर और चंबल संभाग के हैं. ऐसी स्थिति में चर्चा जोर पकड़ रही है कि, कांग्रेस किसी ग्वालियर के दिग्गज को नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपेगी.
ग्वालियर चंबल संभाग से बनाया जा सकता है नेता प्रतिपक्ष
एक तरफ चर्चा कमलनाथ सरकार में संसदीय कार्य मंत्री रहे डॉक्टर गोविंद सिंह के नाम की है,तो दूसरी तरफ वरिष्ठ विधायक केपी सिंह की नाम की चर्चा भी जोर पकड़ रही है. क्योंकि केपी सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन फिर भी वह पार्टी के साथ खड़े रहे. यह भी माना जा रहा है कि, अगर पार्टी ग्वालियर चंबल के किसी विधायक को नेता प्रतिपक्ष की जवाबदारी सौंपती है, तो उसका फायदा उपचुनाव में मिलेगा.
नेताप्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस में असमंजस पूर्व मुख्यमंत्री पर टिकीं सबकी निगाहें
दूसरी तरफ चर्चा है कि, जिस तरीके से कांग्रेस सरकार को गिराया गया है. उसको देखते हुए कमलनाथ ही विधायक दल के नेता होंगे. क्योंकि अगर कमलनाथ की जगह पर किसी और को नेता प्रतिपक्ष की कमान दी जाती है, तो यह स्वाभाविक माना जाएगा कि कमलनाथ ने सत्ता की इस लड़ाई से अपने आप को दूर कर लिया है, जबकि जनता और कांग्रेस यह देखना चाहती है कि, मुख्यमंत्री पद जाने के बाद कमलनाथ मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रियता निभाते हैं, या फिर से केंद्र की राजनीति का रुख करते हैं.
कमलनाथ संभालेंगे जिम्मेदारी या फिर कांग्रेस चलेगी दूसरी चाल? जीतू पटवारी ने किया सरकार में वापस आने का दावा
ज्यादातर रणनीतिकार चाह रहे हैं कि, नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी कमलनाथ की संभालें और शिवराज सरकार और बीजेपी को घेरने में कोई कसर ना छोड़ें. वहीं इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष और विधायक जीतू पटवारी का कहना है कि, मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष को लेकर बहुत सी बातें हो रही हैं और मैं तो व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि, थोड़े दिन में फिर हम मुख्यमंत्री बनाएंगे. यह जितनी भी बातें हैं, अखबार और मीडिया की बातें हैं. जब सही समय आएगा, तो हम जनता के सामने आएंगे.