भोपाल। डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट क्या है? यह कितना खतरनाक है? इसके लक्षण क्या हैं?...और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है? हर किसी के दिमाग में आज बस यही प्रश्न घूम रहा है. ऐसे में इसके बचाव को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की राज्य स्तरीय कोरोना परामर्शदात्री समिति के सलाहकार डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे से ईटीवी भारत संवाददाता आदर्श चौरसिया ने बात की. डॉक्टर दुबे ने इस दौरान डेल्टा और डेल्टा प्लस से जुड़े तमाम प्रश्नों के जवाब दिए और आम लोगों की जिज्ञासा शांत की. अगर आपके मन में भी है कोई सवाल तो ये खबर आपके लिए है.
डेल्टा और डेल्टा प्लस क्या है, और इसमें आखिर अंतर क्या है?
कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट (B.617.2) भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में चिंता बढ़ा ही रहा था कि, तब तक यह म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस या AY.1 में भी तब्दील हो गया. डेल्टा वैरिएंट की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने का कारण डेल्टा प्लस वैरिएंट बना है. K417N दक्षिण अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के बीटा वैरिएंट और ब्राजील में पाए गए गामा वैरिएंट में पाया गया है. बहरहाल, डॉक्टर जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लगातार नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही डेल्टा प्लस वैरिएंट की जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच की बात कहते हैं.
डेल्टा और डेल्टा प्लस से जुड़ी सारी जानकारी एक साथ वैक्सीन इम्युनिटी को दे सकता है चकमा?
मध्य प्रदेश की राज्य स्तरीय कोरोना परामर्शदात्री समिति के सलाहकार डॉक्टर सत्य प्रकाश दुबे कहते हैं, 'हर वेरिएंट अलग तरह के क्लिनिकल रिस्पॉन्स के साथ आता है. पिछले वेरिएंट में ऑक्सिजन लेवल घट रहा था लेकिन हम नहीं जानते कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कैसे नतीजे होंगे'. इसका एक और खतरनाक म्यूटेशन हुआ है, जो वैक्सीन से मिलने वाली इम्युनिटी को चकमा दे सकता है. 'डेल्टा प्लस का एक अतिरिक्त म्यूटेंट है K417N जो डेल्टा (B.1.617.2) में तब्दील हुआ और अब डेल्टा प्लस में पाया जा रहा है।'
डेल्टा प्लस की टेस्टिंग कैसे होती है?
डॉक्टर दुबे के अनुसार डेल्टा प्लस की टेस्टिंग भी आम कोरोना की टेस्टिंग की तरह ही होती है लेकिन उसका पूरा सैंपल दिल्ली जाता है जहां एनसीडीसी में इसकी रिपोर्ट तैयार होती है. वहीं से डाटा दिल्ली के शोध केन्द्र में जाता है जहां इसके वायरस के फंक्शन को देखा जाता है कि उसमें कोई बदलाव तो नहीं है, अगर बदलाव है तो उसे डेल्टा डेल्टा प्लस की श्रेणी में रखा जाता है और राज्य सरकार को संबंधित मरीज की जानकारी दी जाती है.
डेल्टा वेरिएंट के लक्षण क्या हैं?
डेल्टा प्लस काफी संक्रामक है और फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने में सक्षम है. इसकी वजह से फेफड़े को जल्द नुकसान पहुंचने की संभावना होती है. साथ ही यह मोनोक्लोनल एंडीबॉडी कॉकटेल को भी मात देने में सक्षम है. जिन लोगों को डेल्टा वेरिएंट ने अपनी चपेट में लिया है, उन्हें तेज खांसी (Bad Cold) और अलग ही तरह का फनी ऑफ फीलिंग जैसा अहसास हो रहा है. उनका कोल्ड सिम्टम्स पिछले वायरस से काफी अलग पाया जा रहा है. अध्ययन के अनुसार, सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना डेल्टा वेरिएंट से जुड़े सबसे आम लक्षण हैं.
क्या डेल्टा वेरिएंट तीसरी लहर के लिए हो सकता है जिम्मेदार?
दो म्यूटेशन के बाद डेल्टा का जेनेटिक कोड E484Q और L452R है और इससे हमारा इम्यून सिस्टम भी लड़ने में कमजोर पड़ सकता है. यही वजह है कि ये हमारे शरीर के बाकी अंगों को भी बड़ी आसानी से प्रभावित करके गंभीर लक्षण छोड़ता है. इसके अतिरिक्त नए वेरिएंट स्पाइक प्रोटीन की संरचना को बदलते हैं, पर डेल्टा वेरिएंट खुद को शरीर के अंदर मौजूद होस्ट सेल्स से जोड़ने में अधिक कुशल होते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि डेल्टा भारत में तीसरी लहर के रूप में हावी हो सकता है.
क्या वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन?
महामारी में टीकाकरण को प्रमुख अस्त्र के तौर पर देखा जा रहा है. वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन वे किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी बना पाते हैं, इसकी जानकारी बहुत जल्द साझा की जाएगी. डेल्टा प्लस वेरिएंट से बचाव में टीके कितने प्रभावी हैं, इस पर भारत सहित विश्व के कई देशों में अध्ययन हो रहा है. डॉक्टर दुबे कहते हैं कि जिन लोगों ने एक बार डोज लगवाया है उनको इस का खतरा ज्यादा है इसलिए दोनों डोज वैक्सीन के लगवाएं. तो इस वेरिएंट से भी बचा जा सकता है. लेकिन आने वाले दिनों में हो सकता है कि लोगों को एक और वैक्सीन का बूस्टर लगाया जाए.
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डेल्टा प्लस वैरिएंट ज्यादा खतरनाक है?
अभी तक जितने भी वेरिएंट आए हैं, डेल्टा उनमें सबसे तेजी से फैलता है. अल्फा वेरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60 पर्सेंट अधिक संक्रामक है. डेल्टा के दो म्यूटेशन- 452R और 478K इम्युनिटी को चकमा दे सकते हैं. डेल्टा से मिलते-जुलते कप्पा वैरिएंट भी वैक्सीन को चकमा देने में कामयाब दिखता है, लेकिन फिर भी यह बहुत ज्यादा नहीं फैला जबकि डेल्टा वेरिएंट सुपर-स्प्रेडर निकला. देश में कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर इसी वेरिएंट के चलते आई थी. हालांकि यह जरूरी नहीं है कि हर डरावना म्यूटेशन एक खतरनाक वायरस का रूप ले जबकि कुछ एक्सपर्ट्स को आशंका है कि कहीं यह कोविड-19 महामारी की तीसरी वजह न बन जाए.