भोपाल: बुंदेलखंड मध्य प्रदेश के सात और उत्तर प्रदेश के सात, कुल मिलकार 14 जिलों (14 districts of Bundelkhand) को मिलाकर बनता है. बुंदेलखंड वह इलाका है जिसकी पहचान जल संकट, सूखा (water crisis in bundelkhand), पलायन और बेरोजगारी के कारण है. पानी का बेहतर प्रबंधन यहां की तस्वीर बदल सकता है. यही कारण है कि जल संरक्षण के मामले में खास पहचान रखने वाले इजराइल की इस मामले में मदद ली जाने वाली है. पिछले दिनों इजराइली जल प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ लयोर असफ (Water Management Specialist Dr. Layor Asaf) का इस इलाके में आना हुआ. इजराइली दल ने छतरपुर, पन्ना व (Chhatarpur, Panna and Katni) कटनी के जल संरक्षण पर विस्तार से चर्चा की.
बुंदेलखंड के बड़े भू-भाग की समस्या (water crisis in bundelkhand) पानी है. ऐसा नहीं है कि यहां बारिश बहुत कम होती हो, जल संग्रहण क्षेत्रों की कमी हो, मगर व्यवस्थाओं केा तहस-नहस कर दिया गया है. इसका नतीजा है कि यहां पानी के लिए बड़ी जद्दोजहद करना होती है. पानी रोकने के इंतजाम नहीं है, जो जल संरचनाएं थी, वे जमींदोज हो चुकी है. इसका नतीजा यह हुआ कि कभी पानी के मामले में सपन्न माना जाने वाला यह इलाका विपन्न हो गया. इस क्षेत्र केा पानीदार बनाने की कई बार योजनाएं बनीं, हर साल करोड़ों रुपये खर्च भी हेाता है. सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर प्रयास भी खूब किए जाने के दावे होते है, मगर जमीन पर कुछ भी नजर नहीं आता. अब इजराइल की मदद पानी प्रबंधन के लिए लिए जाने की तैयारी है.
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पिछले दिनों इजराइली दल (Israeli water experts team) का इस इलाके में आना हुआ. इस दौरान उन्होंने इस इलाके की जल की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित कराने और कृषि क्षेत्र एवं इससे संबंधित विकास कार्यों को समृद्धशील बनाने के संबंध में इजराइल में अपनाई गई व्यावहारिक एवं तकनीकी प्रयोग की जानकारी दी. यहां बता दें कि इजराइल वह देश है जहां औसत वर्षा काफी कम है, मगर बेहतर जल प्रबंधन के कारण वहां की स्थिति संकट ग्रस्त इलाके के तौर पर नहीं है. वहां अच्छी फसल होती है और जीवन खुशहाल है.
बताया गया है कि डॉ लयोर असफ को इजराइल विदेश मंत्रालय (Israel Foreign Ministry) द्वारा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs, Government of India) की ओर से जल प्रबंधन एवं अध्ययन एवं कार्ययोजना के लिए इस क्षेत्र में भेजा गया. उम्मीद की जा रही है कि जल विशेषज्ञ के अध्ययन से बुंदेलखंड के कई जिलों केा जल संकट (water crisis in bundelkhand) की स्थिति को दूर करने में मदद मिलेगी और कृषि को नया आयाम भी मिलेगा साथ ही जल की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी.
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