भोपाल| चुनाव बदलते ही मतदाताओं का मिजाज भी बदल जाता है. विधानसभा में जीतने वाली पार्टी लोकसभा चुनाव में हार जाती है, लेकिन विधानसभा से लोकसभा तक सिर्फ मतदाताओं की पसंद नहीं बदलती है, बल्कि मतदान प्रतिशत में भी बड़ा अंतर दिखाई देता है.
चुनाव में मतदान प्रतिशत का खेल 2013 के चुनावों को ही देखें तो बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 44.88 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 5 माह बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट बैंक बढ़कर 54.03 परसेंट हो गया था, जबकि इसकी तुलना में कांग्रेस का वोट बैंक कम हो गया था. सपा का वोट बैंक 1.20 से बढ़कर 2.20 हो गया था, तो वहीं बहुजन समाज पार्टी के वोट इस दौरान काफी घट गए थे.
लोकसभा चुनाव 2014 में 2 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार 20 से अधिक सीट जीतना चाहती है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उसे कई क्षेत्रों में अच्छा खासा नुकसान भी हुआ है. यदि बात की जाए विंध्यक्षेत्र की, तो कांग्रेस को यहां बड़ा झटका लगा है, तो वहीं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भी भाजपा का वोट बैंक लगातार बढ़ा है. वहीं इसके उलट केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को फायदा हुआ था.
वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में निर्वाचन आयोग के मुताबिक पहले चरण में 74 प्रतिशत मतदान हुआ है. दूसरे चरण में 69 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि तीसरे चरण में 65 परसेंट वोटिंग हुई है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आखिरी चरण के मतदान प्रतिशत पता चलते ही ये भ्रांति खत्म हो जाएगी कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा के मुकाबले कम वोटिंग होती है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश शर्मा की मानें तो चुनाव आयोग के जागरूकता अभियानों और स्वीप गतिविधियों की वजह से प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. वहीं उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी भी लोगों से मतदान की अपील कर रहे हैं, निश्चित रूप से इसका असर लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जेपी धनोपिया कहते हैं कि विधानसभा में राज्य की समस्याएं मुद्दा होती हैं, इसलिए जनता विधानसभा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है, लेकिन लोकसभा चुनाव में मुद्दे देश के होते हैं, इसलिए जनता मतदान में रुचि नहीं दिखाती है, इसलिए मतदान प्रतिशत में कमी देखी जाती है.
राजनीतिक विशेषज्ञ रमेश शर्मा की मानें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मत प्रतिशत में अंतर खासकर मध्यप्रदेश में इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी का जुड़ाव जनता से इतना ज्यादा नहीं हो पाता है जैसा जुड़ाव विधानसभा चुनाव के दौरान दिखाई देता है.
उन्होंने कहा कि पिछले दो चुनावों से ऐसी भ्रांतियां टूट रही हैं. मतदान के ज्यादा प्रतिशत ने सत्ताधारी दल को भी फायदा पहुंचाया है. आज के मतदाता ने पूरा गणित बदलकर रख दिया है, इसलिए ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि मतदान के बढ़ने से किसे फायदा होगा.