भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लड़कियों के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 साल किए जाने को लेकर गठित की गई टास्क फोर्स के साथ एक बहस भी शुरू हो गई है. लड़कियों के लिए विवाह की उम्र बढ़ाए जाने को लेकर महिलाओं के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. वैसे लैंगिक समानता के लिए सरकार का महत्वपूर्ण कदम मान रही है. स्वयंसेवी संगठनों के मुताबिक लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश में बाल विवाह के मामलों में कमी आएगी.
मध्य प्रदेश में महिलाओं के हक के लिए काम करने वाली समाज सेविका आशा पाठक कहती हैं कि यदि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जाए तो इसका सबसे बड़ा फायदा प्रदेश में बाल विवाह रोकने में मिलेगा. देश में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल है. प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों के अलावा बघेलखंडी इलाकों में बाल विवाह के कई मामले सामने आते हैं.
परिजन 17 साल पूरे होते ही लड़कियों का विवाह करा देते हैं और दस्तावेजों के अभाव में ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती. नेशनल हेल्थ लाइन सर्वे के आंकड़ों को देखें तो प्रदेश के 8 जिलों में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले सामने आते हैं, इनमें आदिवासी जिला झाबुआ टॉप पर है.
समाज सेविका प्रार्थना मिश्रा के मुताबिक मातृ मृत्यु भी लड़कियों की कम उम्र में शादी होने की एक अहम वजह है. कम उम्र में शादी होने से लड़कियां अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नहीं होती. यही वजह है कि मध्य प्रदेश अभी भी मातृ मृत्यु दर के मामले में बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से पीछे हैं. हालांकि पिछले सालों में स्थिति में थोड़ा सुधार आया है.