भोपाल।सरकार कोरोना से बचाव के लिए रोज नए आदेश निकाल रही है. शासन किल कोरोना अभियान चलाकर गांव तक पहुंचने और मरीजों को इलाज मुहैया कराने के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि कोरोना ने अपनी रफ्तार गांव, कस्बों में बढ़ा दी है. भोपाल के आस-पास ही ग्रामीण क्षेत्रों में बुरे हालात हैं. यहां पर गांव के गांव संक्रमण की चपेट में है. आलम यह है कि लोगों के मन में कोरोना का डर और उसके इलाज की चिंता उनके मन में घर कर के बैठी हुई है कि संक्रमित होने या उसकी आशंका होने पर भी वह जानकारी नहीं दे रहे हैं. सरकार के दावों की हकीकत का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत ने राजधानी के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों का जायजा लिया. टीम भोपाल से 20 किलोमीटर दूर फंदा ब्लॉक में पहुंची. हमारे साथ जानिए ग्राम पंचायत खजूरी सड़क की ग्राउंड रिपोर्ट...
- सर्दी, जुकाम होने पर भी नहीं बता रहे ग्रामीण
खजूरी ग्राम पंचायत क्षेत्र में करीब 4 हजार की आबादी है. इसमें ज्यादातर गांव कोरोना वायरस चपेट में है. गांव में हालात यह है कि लोग घरों में बंद है. जरूरी काम होने पर ही बाहर आ रहे है. शासन की गाइडलाइन के तहत स्वास्थ्य अमला और पंचायत स्तर के अधिकारी कर्मचारी सभी व्यवस्थाएं ठीक होने की बात कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि एक गांव में ही 40 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इसके साथ ही क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां रोजाना सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीज बढ़ रहे है, लेकिन इन मरीजों को सरकारी व्यवस्थाओं पर भरोसा नहीं है. क्षेत्र के लोग कोरोना के डर से प्राइवेट क्लीनिक या स्थानीय डॉक्टर के पास जा रहे है. कोरोना की भयावहता इतनी है कि अब लोगों ने सर्वे के दौरान परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां भी देना बंद कर दिया है. ऐसे में सरकार की कोरोना वायरस से बचाव और जागरूकता की तैयारियां बेमतलब साबित हो रही हैं.
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- खार खेड़ी में मिले 40 कोरोना संक्रमित मरीज
राजधानी से 20 किलोमीटर दूर विकासखंड फंदा में 3 गांव शामिल है, इनमें खजूरी सड़क, खार खेड़ी और खेतला खेड़ी है. इसमें सिर्फ खार खेड़ी में ही 40 कोरोना संक्रमित मरीज मिले है. इनमें से कुछ मरीज अभी भी संक्रमण की चपेट में है. उनका इलाज जारी है. स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास विभाग और पंचायत स्तर के कर्मचारी दावा कर रहे हैं कि सब ठीक है, लोगों को इलाज मिल रहा है, संक्रमण की चपेट से उबर रहे हैं, लेकिन हकीकत इससे उलट है. लोग एक-दूसरे के घर नहीं जा रहे हैं. घरों में कैद हैं. इतना ही नहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग की टीम जब सर्वे के लिए इनके पास पहुंच रही है, तो उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. लोग इतने डरे हुए है कि सर्वे करने आए कर्मचारियों को अपने और परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य वास्तविक स्थिति नहीं बता रहे. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना का खौफ किस कदर लोगों के जनजीवन पर हावी है.
- इलाज के डर से क्वारंटीन सेंटर पड़े खाली
कोरोना की चपेट में आए ग्रामीण क्षेत्रों का आलम यह है कि सरकार का किल कोरोना अभियान बेमतलब साबित हो रहा है. डर के कारण लोग सरकारी अस्पतालों में नहीं जा रहे है. यहां तक की जिनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है, वह भी घरों में ही रहकर होम आइसोलेशन में रहना ठीक समझ रहे है. शासन द्वारा बनाए गए क्वारंटीन सेंटर पर एक भी मरीज रहने नहीं पहुंचा है. खजूरी सड़क में सरकारी स्कूल में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में जमीन पर बिस्तर लगाकर लोगों के रुकने का इंतजाम किया गया है, लेकिन यहां गाइडलाइन के अनुसार मरीजों के लिए अलग-अलग शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. साथ ही यहां पर स्वास्थ्य विभाग का अमला भी बहुत कम आता है. ऐसा ही आलम फंदा कला गांव का है. यहां भी छात्रावास में बने क्वारंटाइन सेंटर में कोई भी मरीज नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम का कहना है कि हमने सारी व्यवस्थाएं सेंटर पर उपलब्ध करा दी है, लेकिन मरीज घर पर रहना ही चाहता है.